एक दृष्टान्त याद आया अभी अभी एक बार एक महात्मा जी भिक्षा के लिए घूम रहे थे की अचानक एक घर पर रुके और भिक्षाम देहि आवाज़ लगाई, अंदर से जोर स...
एक दृष्टान्त याद आया अभी अभी एक बार एक महात्मा जी भिक्षा के लिए घूम रहे थे की अचानक एक घर पर रुके और भिक्षाम देहि आवाज़ लगाई, अंदर से जोर से आवाज़ आयी की रुक रुक अभी देती हूँ तुझे भिक्षा, ठहर अभी आती हूँ फुंकारती हुयी एक अधेड़ महिला बहार आयी हाथ में मिटटी से भरा मैला कुचला सा कपडा लिए जैसे पोंछा हो, और झट से साधु की ऊपर दे मारा और बोली ये ले भिक्षा, साधु अत्यंत विनम्र और शांत भाव से वह वस्त्र लेकर लौट गया, साधु ने उस कपडे को धोया साफ़ किया और धागे निकल कर बत्तिया बना दी और मंदिर में प्रकाश के लिए संध्या समय उनका उपयोग किया और बहुत ही प्रसन्नचित रहा, तभी सांयकाल व्ही महिला मंदिर में आयी और साधु की दयालुता और सकारात्मक दृष्टिकोण से बहुत हर्षित भी हुयी और मन ही मन लज्जित हुयी, उसे पस्चताप भी हुआ की उसने ऐसा गलत व्यवहार किया किन्तु इन संत ने क्रोध के बजाए सम्मानित उत्तर दिया और संत से माफ़ी मांगी,
POSITIVE THINKING CAN FILL LIFE WITH HAPPINESS
कहने का तात्पर्य यह है की सकारात्मक सोच और दृष्टिकोण सदैव लाभकारी होता है, इससे हमारी भलाई ही होती है,सकारात्मक सोचना ही केवल मात्र जीवन में खुशियां भर देता है, हम जब भी कोई गलत कार्य हो जाता है तो उसका दोष दुसरो में देखते है और लड़ाई झगड़ा या आरोप-प्रत्यारोप करते है लकिन स्वयं का निरीक्षण नहीं करते की हमसे कहाँ पर गलती हुयी है, यदि थोड़ा सा आत्मनिरीक्षण कर के व्यवहार किया जाए तो बिगड़ी हुयी परस्थिति को भी सुधारा जा सकता है,
आध्यात्मिक दृष्टि से भी देखा जाए तो यही होता है जब हम अपनी बुद्धि को सकारात्मक रूप से अपने इष्ट में स्थापित कर दे और उनसे अपना अंतर्मन जोड़ने का प्रयास शीघ्र सफल हो जाता है, ऐसे ही जीवन की छोटी छोटी बातो में अगर अपना दृष्टिकोण सही दिशा में मोड़ ले और सकारात्मक सोंचे तो बहुत सी समस्याएं, बहुत सा झगड़ा,अंतर्मन का द्वंद समाप्त होने लगेगा, जैसे की एक जहरीला सर्प हमे भयभीत कर देता है, मन में भी उत्तपन्न करता है किन्तु वैज्ञानिको के दृष्टिकोण से देखे अर्थात सकारात्मक रूप में देखे तो व्ही जहरीला सर्प जिसका जहर बहुत सी दवाइया और कैंसर जैसी बीमारी के इलाज के लिए कारगर है उपयोगी है तो हमे उसकी महत्ता के लिये उससे भी नहीं लगेगा,केवल दृष्टिकोण बदलना होते है,
अकबर बीरबल का वाकया याद आ गया है, एकबार अकबर की ऊँगली कट गयी और बीरबल बोले की जो होता है अच्छा ही होता है, ईश्वर की इच्छा है, राजा को क्रोध हुआ और उसे कारागार में डलवा दिया, अगली सुबह राजा जंगल में शिकार खेलने गए और रास्ता भटक गए जिस से अकेले रह गए अपने सैन्यदल से बिछुड़ गए,तभी जंगली कबीले वालो ने राजा को पकड़ लिया और उसकी बलि की तैयारी की, राजा ने सोचा आज तो प्राण गए, जैसे ही बलि चढ़ाने वाले थे की आदिवासियों की नज़र राजा की कटी हुयी ऊँगली पर पड़ी, और बलि रोक दी गयी क्योंकि खंडित मनुष्य की बलि नहीं दी जाती, तब राजा जान बचाकर भगा और सीधे बीरबल से कहा तुमने सही कहा था, ऊँगली कटने के कारण आज मेरी जान बच गयी, किन्तु तुम्हे जो जेल में रहना पड़ा इसका क्या, बीरबल ने हँसते हुए कहा, महाराज यदि आप मुझे जेल में न डालते तो मैं आपके साथ होता और मेरी बलि चढ़ जाती," इस पर सब हसने लगे और इतनी बड़ी विपत्ति हँसि की स्थिति बन कर रह गयी, केवल सकारात्मक दृष्टिकोण की वजह से,
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