पदावली होली के पद _____________ -विकास अग्रवाल- वृंदा सखी पद - विकास अग्रवाल ______________________________________...
पदावली
होली के पद
होली के पद
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-विकास अग्रवाल-
वृंदा सखी
वृंदा सखी
पद - विकास अग्रवाल
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होली जग की बहुत हुयी अब झूठी होली बिसारिये,
एक बार जो हो ली श्याम की सही होली तब जानिए
लाल पीरा हरा गुलाबी केसरिया रंग होली के खूब लगे
सब रंग फीके हो जाते हैं जब श्याम नाम का रंग चढ़े
वृन्दासखी 1
प्रीतम की शोभा बसंती, राधा की शोभा बसन्ती है,
प्रीतम की पगड़ी बसन्ती , राधा की चुनरी बसंती है,
फूलन के सब हार बसन्ती, कुंजन की शोभा बसंती है,
प्रियाप्रितम का रास बसन्ती, गीतों के सब राग बसंती है
जय जय हो ऋतुराज बसन्त ,युगलकेलि का रासविहार बसंती है
बसंत ऋतू अति सुखदायी लखि ,वृन्दासखी का तन मन हुआ बसंती है 2
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बरसाना की अहीर बाला लठ लेकर धावत नन्द ग्वालन के पीछे
रंग उड़ावत लाल पीरा गोरी सतावे गुलाल लगावे दौड़े आगे पीछे
धूम हुयी अति सगरे बृज मंडल माहि घुमर घुमर नाचे ऊपर निचे
वृन्दासखी यही चाहत है रंग लगावे आकर मोहन दौड़े आगे पीछे 3
फाल्गुन की चले बयार उठे पीर विरहणी के हिये
पिया ना आये आग लगे तन मन विरहणी के जिए
होरी में हो अगन भड़के भटके विरहणी तड़प लिए
आन मिलो मोहनपिया वृंदसखी गुलाल प्रेम हाथ लिए
4
होरी के रंग में रंग चढयो है प्रेम को मोहन मेरे
धन दुनिया में बहुत मिले तुम धन अमोलक मेरे
लाल गुलाबी सब झूठे रंग रँगी श्याम रंग में तेरे
वृन्दासखी यह रंग न छुटे छुटे चाहे प्राण भी मेरे
5
हो रही आज होरी का खेलन हाँ ब्रजमंडल माहि
फेंटा कसो कमर टेढ़ी वारा गोपियन बीच जाहि
पहिरे सुरंगी साड़ी घाघर दौड़े लिए लठ हाथ माहि
वृन्दासखी बलिहारी युगल छबि लखि होरी में जाहि
6
मोहन के संग खेलति हैं सब फाग लिए गोपियाँ उर अंतर को अनुराग
सारी पहिरी सुरंग, काजर डारो कजरारे नैन दीखत लगे हिये माहि आग
सजी सजी निकसी सब भई ठाढी, सुनि माधो के बैन श्रवण घुले है पराग
डफ, बांसुरी,ढोल पखावज घुंघरू, बाजत ताल मृदंग बोले मधर मधुर राग
अति आनन्द मनोहर बानि गावत सकल गोपिन बढ़े सुन सुन हिये अनुराग
एक टोली बनाई गोविन्द ग्वाल सब, एक टोल बनायो ब्रज नारि खेले फाग
घेरा मोहन सकल गोपिन मला गुलाल रंग डारो सगरा गए ग्वाल सब भाग
बलिहारी वृंदा मोहन गोपिन की या छबि लख खेलो कभी न ऐसो सूंदर फाग
7
मोहन को पकर लायी बनायो नार सकल गोपिया
राधा कियो सृंगार पहरायो घाघरा चोली अंगिया
नासा नथ हाथो में चूड़ी नोलखा हार माथे बिंदिया
ढुमक ढुमक चले कृष्ण शरम सौ किये नीचीअंखिया
या होरी में बनी राधा मोहन मोहन बनी है सखिया
या छबि देख राधामोहन की वृंदा टारत नही अँखिया
8
खेलत सखियाँ संग कुंवर किशोर फाग री
कौन तप कीन्हो गुजरी पायो बड़भाग री
झालरदार फगुलिया पहिरे कुंवर सूंदर पाग री
नीलाम्बर सारी सजी राधिका खेले फाग री
मलत गुलाल मुख मोहन घोल केसर झाग री
बलिहारी वृन्दासखी हरी फाग विरह आग री
9
कहे राधा मोहन से आओ खेले होली प्रेम की
या होली बने अमर गाथा हमारे अटूट प्रेम की
तुम बन जाओ गुजरिया प्यारी मूरत प्रेम की
मैं मोहन बन मलूँ गालन पर लाली प्रेम की
देखे जगत निराली होरी जहां न मैढ़ हो नेम की
झूठी जगत होरी वृन्दासखी खेलो होरी प्रेम की
कहे राधा मोहन से आओ खेले होली प्रेम की
या होली बने अमर गाथा हमारे अटूट प्रेम की
तुम बन जाओ गुजरिया प्यारी मूरत प्रेम की
मैं मोहन बन मलूँ गालन पर लाली प्रेम की
देखे जगत निराली होरी जहां न मैढ़ हो नेम की
झूठी जगत होरी वृन्दासखी खेलो होरी प्रेम की
9
डफ बाज रह्यो हाथ कुंवर किशोरी के...हो हो कुंवर किशोरी के
डफ बाज रह्यो बरसाने ऊँची अटारी पे ...हो हो कुंवर किशोरी के
डुग डुग डम डम गुंजत राग बरसाने में.....हो हो कुंवर किशोरी के
डफ बाज रह्यो हाथ कुंवर किशोरी के...हो हो कुंवर किशोरी के
डफ बाज रह्यो बरसाने ऊँची अटारी पे ...हो हो कुंवर किशोरी के
डुग डुग डम डम गुंजत राग बरसाने में.....हो हो कुंवर किशोरी के
छायी मधुर बहार सखियन हिये में .........हो हो कुंवर किशोरी के
वृन्दासखी
इत ग्वाल बाल डोले मोहन संग
चलो खेले होली मिल सखियन संग
ले लो भर भर सब झोली सगरे रंग
मलें गे गुलाल करे लाल पीरे सब अंग
बरसाने में धूम मचा दे सब गोपिन संग
इत ग्वाल बाल डोले मोहन संग
चलो खेले होली मिल सखियन संग
ले लो भर भर सब झोली सगरे रंग
मलें गे गुलाल करे लाल पीरे सब अंग
बरसाने में धूम मचा दे सब गोपिन संग
वृन्दासखी
सखियन खेल रही होरी कुंवर कन्हाई संग
मारत लठ दे दे तारी ज्यो ही लगावे रंग
हो हो होरी है बोले ग्वाल सब करेंगे हुडदंग
बचकर गोरी कहा जाओगी भिगो देंगे अंग अंग
आगे आगे कुंवर कान्हा ग्वाले पीछे सब संग संग
बलिहारी वृन्दासखी भीजे तन मन श्याम के रंग
धूम मची है होरी की बरसाना गोकुल वृन्दावन
श्याम रंग में भीग गया वृन्दासखी सब तन मन
भीड़ हुयी भारी अति धावे ग्वालबाल गोप-गोपिन
फ़टी साड़ी कोनहु की खो गयो कोई को बाजूबंद
कोई भई कारी कोई लाल पिरि कर देइ सब ग्वालन
कुर्तो फटो कोनहु को लठ पड्यो कोनहु को चढो भंग
सखियन खेल रही होरी कुंवर कन्हाई संग
मारत लठ दे दे तारी ज्यो ही लगावे रंग
हो हो होरी है बोले ग्वाल सब करेंगे हुडदंग
बचकर गोरी कहा जाओगी भिगो देंगे अंग अंग
आगे आगे कुंवर कान्हा ग्वाले पीछे सब संग संग
बलिहारी वृन्दासखी भीजे तन मन श्याम के रंग
धूम मची है होरी की बरसाना गोकुल वृन्दावन
श्याम रंग में भीग गया वृन्दासखी सब तन मन
भीड़ हुयी भारी अति धावे ग्वालबाल गोप-गोपिन
फ़टी साड़ी कोनहु की खो गयो कोई को बाजूबंद
कोई भई कारी कोई लाल पिरि कर देइ सब ग्वालन
कुर्तो फटो कोनहु को लठ पड्यो कोनहु को चढो भंग
माथे बिंदिया हाथो में चूड़ा नथनी धराओ री
या होरी में कोई कसर न छोड़े खूब भगाओ री
कारे से कर देओ लाल-पीरा हाथ ब्रजराज आयो री
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