शुभ नवरात्री पहाड़ी माता (नक्कीपुर हरियाणा ) पहाड़ी माता (नक्कीपुर हरियाणा ) पह...
शुभ नवरात्री पहाड़ी माता (नक्कीपुर हरियाणा )
पहाड़ी माता (नक्कीपुर हरियाणा )
पहाड़ी माता मंदिर जोकि एक ऊँची पहाड़ी पर स्थित है बहुत ही प्राचीन और सिद्ध पीठ है माँ दुर्गा की, यह स्थान तहसील लोहारू डिस्ट्रिक्ट भिवानी में है, परम रमणीय पहाड़ी जिसकी छटा निराली है और उससे अधिक माँ भगवती का स्वरुप जो एक बार निहारने से ही अपनी ओर आकर्षित कर लेता है, यह के पुजारी भी बहुत ही विनम्र ओर ग्यानी है जो हर भगतो को बहुत प्रेम से दर्शन लाभ करवाते है,
माता जी का यह स्थान उच्चकोटि का स्थान है,जहाँ भगतो की हर मनोकामना माँ पूर्ण करती है, माँ का दिव्या स्वरुप देखते ही कोई भी समझ सकता है की इस स्थान पर माँ कितनी प्रभावी है, ऐसा लगता है मानो साक्षात् माँ की गोदी में बैठ गए हो, अत्यन्य सौम्य,दिव्य,ओर प्रभाववि स्वरुप, सेठानी के जैसा श्रृंगार लाल चुनरी बंधेज वाली, स्वर्ण मुकुट,हीरे जड़ित नथनी,कुण्डल ओर हार, सिंह सवारी हज़ारो छत्र लटके हुए,अत्यंत मनोहारी,
एक विशेष बात माँ का सिंह ऐसा शक्तिशाली किन्तु बंद मुख से शांत है, बंद मुख का सिंह शायद ही किसी और स्थान पर मिले, सामने भैरव बाबा का स्थान और पास ही महादेव परिवार का अद्भुत मंदिर जो शिवा और शक्ति की आराधना परिपूर्ण करता है, ऐसे स्थान की महिमा जितनी बखान की जाए थोड़ी है,
प्राचीन काल में एक बार कुछ लुटेरे माँ के मंदिर में घुस गए, और माँ की नथ चुराने का प्रयास किया, तभी माँ हाथो में तलवार लेकर प्रगट हुयी और उनके नाक काट दिए तभी से नकीपुर नाम पड़ा इस गांव का, तभी से सब लोगो ने माँ की शक्ति को प्रत्यक्ष देखा है, और आज भी अनेकानेक भगतो की मनोकामनाएं पूर्ण होती है,एक बार जोर से जयकारा लगते है माँ पहाड़ी के नाम का," बोलो पहाड़ी माता की जय" राजराजेश्वेरी महारानी की जय, कुलदेवी माँ की जय ...
शुभ नवरात्री सभी प्रेमी जन को, नवरात्री की शुरुआत और जिक्र भर से एक ऊर्जा का संचार मन में प्रवाहित सा होने लगता है, जी हाँ, यह सत्य है, क्यों? क्योंकि नवरात्री माँ पराम्बा,भगवती,महिषमर्दिनी, आह्लादिनी, शक्ति, और ऊर्जा का नाम ही नवरात्री है, नवदुर्गा अर्थात नौ देवियां, (नव= नया + दुर्गा= शक्ति ) अर्थात नई ऊर्जा का प्रवाह भी इसका अर्थ लिया जा सकता है, और माँ भगवती के नौ रूपों से भी इसका अर्थ लिया जाता है, चैत्र नवरात्र विशेष ऊर्जा का संचार करते है, शीत ऋतू की शीतलता, ठण्ड के कारण शरीर में बढ़ती कफ इत्यादि को संतुलित करने के लिए नव वायु का प्रवाह, ग्रीष्म ऋतू का आगमन मौसम का यह परिवर्तन एक और तो नव स्फुरणा का संचार करता है और मन को उमंग से परिपूर्ण करता है दूसरे स्वास्थ्य की दृष्टि से मौसम का यह बदलाव हमारे शारीरिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है, ऐसे में नवरात्री का जो विधान है, व्रत पूजा, हवन इत्यादि और कुछ पदार्थो का त्याग, इनसे संयम का पालन होता है और हमारे स्वास्थ्य को भी सही रखता है, ऐसे में न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से नवरात्रो को महत्व अधिक है बल्कि सामाजिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी बहुत अधिक महत्व है नवरात्री का, सामाजिक आयोजन माता की चौकी, राम-कथा दुर्गा-पूजा इत्यादि सामाजिक कार्यक्रम भी नवरात्री का महत्वपूर्ण भाग है, जो हम सभी को सामाजिक स्तर पर भी आनंदित करता है, अतःनवरात्री न केवल अध्यात्म बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य, सामाजिक उन्नत्ति का भी आगाज करते है, और त्योहारों की खुशियों का आगाज भी करते है,
चैत्र नवरात्री का महत्व और भी अधिक इसलिए हो जाता है की इन्ही नवरात्रो की प्रतिपदा को हिन्दू नव वर्ष का शुभागमन होता है, इन्ही नवरात्रो में रामनवमी अर्थात भगवान् श्री राम का पावन जन्मोत्सव आता है,
जानते है कुछ सिद्ध मन्त्र जोकि हर मनोकामना पूर्ण करने में समर्थ है, केवल श्रद्धा और विशवास से जप की आवश्यकता है
सभी प्रकार की बाधामुक्त होकर धन-पुत्रादि की प्राप्ति के लिये:
“सर्वाबाधाविनिर्मुक्तो धनधान्यसुतान्वित:।
मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशय:॥”
अर्थात :- मनुष्य मेरे प्रसाद से सब बाधाओं से मुक्त तथा धन, धान्य एवं पुत्र से सम्पन्न होगा- इसमें तनिक भी संदेह नहीं है . .
सभी प्रकार के कल्याण के लिये . .
“सर्वमङ्गलमङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते॥”
अर्थात :- नारायणी! तुम सब प्रकार का मङ्गल प्रदान करनेवाली मङ्गलमयी हो . . कल्याणदायिनी शिवा हो . . सब पुरुषार्थो को सिद्ध करनेवाली, शरणागतवत्सला, तीन नेत्रोंवाली एवं गौरी हो . . तुम्हें नमस्कार है ,
दारिद्र्य-दु:खादिनाश के लिये
“दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो:
स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।
दारिद्र्यदु:खभयहारिणि का त्वदन्या
सर्वोपकारकरणाय सदाऽऽर्द्रचित्ता॥”
अर्थात :- माँ दुर्गे! आपका स्मरण करने पर सब प्राणियों का भय हर लेती हैं और स्वस्थ पुरषों द्वारा चिन्तन करने पर उन्हें परम कल्याणमयी बुद्धि प्रदान करती हैं . . दु:ख, दरिद्रता और भय हरनेवाली देवि! आपके सिवा दूसरी कौन है, जिसका चित्त सबका उपकार करने के लिये सदा ही दयार्द्र रहता हो,
समस्त विद्याओं की और समस्त स्त्रियों में मातृभाव की प्राप्ति के लिये,
“विद्या: समस्तास्तव देवि भेदा: स्त्रिय: समस्ता: सकला जगत्सु।
त्वयैकया पूरितमम्बयैतत् का ते स्तुति: स्तव्यपरा परोक्ति :॥”
अर्थात :- देवि! सम्पूर्ण विद्याएँ तुम्हारे ही भिन्न-भिन्न स्वरूप हैं . जगत् में जितनी स्त्रियाँ हैं, वे सब तुम्हारी ही मूर्तियाँ हैं . .जगदम्ब! एकमात्र तुमने ही इस विश्व को व्याप्त कर रखा है . . तुम्हारी स्तुति क्या हो सकती है? तुम तो स्तवन करने योग्य पदार्थो से परे एवं परा वाणी हो,
आरोग्य और सौभाग्य की प्राप्ति के लिये . .
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
अर्थात :- मुझे सौभाग्य और आरोग्य दो . . परम सुख दो, रूप दो, जय दो, यश दो और काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो,
मैं माँ भगवती से प्रार्थना करता हूँ की इन नवरात्री में माँ हम सब को अपने प्रेम से सराबोर के, अच्छे स्वास्थ्य का धनी बनाये,घर परिवार में खुशियां भर दे, और राष्ट्र की तरक्की का वर दे, जय माँ जय जय माँ.......
पहाड़ी माता मंदिर जोकि एक ऊँची पहाड़ी पर स्थित है बहुत ही प्राचीन और सिद्ध पीठ है माँ दुर्गा की, यह स्थान तहसील लोहारू डिस्ट्रिक्ट भिवानी में है, परम रमणीय पहाड़ी जिसकी छटा निराली है और उससे अधिक माँ भगवती का स्वरुप जो एक बार निहारने से ही अपनी ओर आकर्षित कर लेता है, यह के पुजारी भी बहुत ही विनम्र ओर ग्यानी है जो हर भगतो को बहुत प्रेम से दर्शन लाभ करवाते है,
माता जी का यह स्थान उच्चकोटि का स्थान है,जहाँ भगतो की हर मनोकामना माँ पूर्ण करती है, माँ का दिव्या स्वरुप देखते ही कोई भी समझ सकता है की इस स्थान पर माँ कितनी प्रभावी है, ऐसा लगता है मानो साक्षात् माँ की गोदी में बैठ गए हो, अत्यन्य सौम्य,दिव्य,ओर प्रभाववि स्वरुप, सेठानी के जैसा श्रृंगार लाल चुनरी बंधेज वाली, स्वर्ण मुकुट,हीरे जड़ित नथनी,कुण्डल ओर हार, सिंह सवारी हज़ारो छत्र लटके हुए,अत्यंत मनोहारी,
एक विशेष बात माँ का सिंह ऐसा शक्तिशाली किन्तु बंद मुख से शांत है, बंद मुख का सिंह शायद ही किसी और स्थान पर मिले, सामने भैरव बाबा का स्थान और पास ही महादेव परिवार का अद्भुत मंदिर जो शिवा और शक्ति की आराधना परिपूर्ण करता है, ऐसे स्थान की महिमा जितनी बखान की जाए थोड़ी है,
प्राचीन काल में एक बार कुछ लुटेरे माँ के मंदिर में घुस गए, और माँ की नथ चुराने का प्रयास किया, तभी माँ हाथो में तलवार लेकर प्रगट हुयी और उनके नाक काट दिए तभी से नकीपुर नाम पड़ा इस गांव का, तभी से सब लोगो ने माँ की शक्ति को प्रत्यक्ष देखा है, और आज भी अनेकानेक भगतो की मनोकामनाएं पूर्ण होती है,एक बार जोर से जयकारा लगते है माँ पहाड़ी के नाम का," बोलो पहाड़ी माता की जय" राजराजेश्वेरी महारानी की जय, कुलदेवी माँ की जय ...
शुभ नवरात्री सभी प्रेमी जन को, नवरात्री की शुरुआत और जिक्र भर से एक ऊर्जा का संचार मन में प्रवाहित सा होने लगता है, जी हाँ, यह सत्य है, क्यों? क्योंकि नवरात्री माँ पराम्बा,भगवती,महिषमर्दिनी, आह्लादिनी, शक्ति, और ऊर्जा का नाम ही नवरात्री है, नवदुर्गा अर्थात नौ देवियां, (नव= नया + दुर्गा= शक्ति ) अर्थात नई ऊर्जा का प्रवाह भी इसका अर्थ लिया जा सकता है, और माँ भगवती के नौ रूपों से भी इसका अर्थ लिया जाता है, चैत्र नवरात्र विशेष ऊर्जा का संचार करते है, शीत ऋतू की शीतलता, ठण्ड के कारण शरीर में बढ़ती कफ इत्यादि को संतुलित करने के लिए नव वायु का प्रवाह, ग्रीष्म ऋतू का आगमन मौसम का यह परिवर्तन एक और तो नव स्फुरणा का संचार करता है और मन को उमंग से परिपूर्ण करता है दूसरे स्वास्थ्य की दृष्टि से मौसम का यह बदलाव हमारे शारीरिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है, ऐसे में नवरात्री का जो विधान है, व्रत पूजा, हवन इत्यादि और कुछ पदार्थो का त्याग, इनसे संयम का पालन होता है और हमारे स्वास्थ्य को भी सही रखता है, ऐसे में न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से नवरात्रो को महत्व अधिक है बल्कि सामाजिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी बहुत अधिक महत्व है नवरात्री का, सामाजिक आयोजन माता की चौकी, राम-कथा दुर्गा-पूजा इत्यादि सामाजिक कार्यक्रम भी नवरात्री का महत्वपूर्ण भाग है, जो हम सभी को सामाजिक स्तर पर भी आनंदित करता है, अतःनवरात्री न केवल अध्यात्म बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य, सामाजिक उन्नत्ति का भी आगाज करते है, और त्योहारों की खुशियों का आगाज भी करते है,
चैत्र नवरात्री का महत्व और भी अधिक इसलिए हो जाता है की इन्ही नवरात्रो की प्रतिपदा को हिन्दू नव वर्ष का शुभागमन होता है, इन्ही नवरात्रो में रामनवमी अर्थात भगवान् श्री राम का पावन जन्मोत्सव आता है,
जानते है कुछ सिद्ध मन्त्र जोकि हर मनोकामना पूर्ण करने में समर्थ है, केवल श्रद्धा और विशवास से जप की आवश्यकता है
सभी प्रकार की बाधामुक्त होकर धन-पुत्रादि की प्राप्ति के लिये:
“सर्वाबाधाविनिर्मुक्तो धनधान्यसुतान्वित:।
मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशय:॥”
अर्थात :- मनुष्य मेरे प्रसाद से सब बाधाओं से मुक्त तथा धन, धान्य एवं पुत्र से सम्पन्न होगा- इसमें तनिक भी संदेह नहीं है . .
सभी प्रकार के कल्याण के लिये . .
“सर्वमङ्गलमङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते॥”
अर्थात :- नारायणी! तुम सब प्रकार का मङ्गल प्रदान करनेवाली मङ्गलमयी हो . . कल्याणदायिनी शिवा हो . . सब पुरुषार्थो को सिद्ध करनेवाली, शरणागतवत्सला, तीन नेत्रोंवाली एवं गौरी हो . . तुम्हें नमस्कार है ,
दारिद्र्य-दु:खादिनाश के लिये
“दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो:
स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।
दारिद्र्यदु:खभयहारिणि का त्वदन्या
सर्वोपकारकरणाय सदाऽऽर्द्रचित्ता॥”
अर्थात :- माँ दुर्गे! आपका स्मरण करने पर सब प्राणियों का भय हर लेती हैं और स्वस्थ पुरषों द्वारा चिन्तन करने पर उन्हें परम कल्याणमयी बुद्धि प्रदान करती हैं . . दु:ख, दरिद्रता और भय हरनेवाली देवि! आपके सिवा दूसरी कौन है, जिसका चित्त सबका उपकार करने के लिये सदा ही दयार्द्र रहता हो,
समस्त विद्याओं की और समस्त स्त्रियों में मातृभाव की प्राप्ति के लिये,
“विद्या: समस्तास्तव देवि भेदा: स्त्रिय: समस्ता: सकला जगत्सु।
त्वयैकया पूरितमम्बयैतत् का ते स्तुति: स्तव्यपरा परोक्ति :॥”
अर्थात :- देवि! सम्पूर्ण विद्याएँ तुम्हारे ही भिन्न-भिन्न स्वरूप हैं . जगत् में जितनी स्त्रियाँ हैं, वे सब तुम्हारी ही मूर्तियाँ हैं . .जगदम्ब! एकमात्र तुमने ही इस विश्व को व्याप्त कर रखा है . . तुम्हारी स्तुति क्या हो सकती है? तुम तो स्तवन करने योग्य पदार्थो से परे एवं परा वाणी हो,
आरोग्य और सौभाग्य की प्राप्ति के लिये . .
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
अर्थात :- मुझे सौभाग्य और आरोग्य दो . . परम सुख दो, रूप दो, जय दो, यश दो और काम-क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो,
मैं माँ भगवती से प्रार्थना करता हूँ की इन नवरात्री में माँ हम सब को अपने प्रेम से सराबोर के, अच्छे स्वास्थ्य का धनी बनाये,घर परिवार में खुशियां भर दे, और राष्ट्र की तरक्की का वर दे, जय माँ जय जय माँ.......
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