कर्मा बाई जी भक्तमाल की माला ऐसी माला है जिसमे अनेक भक्तो की रीती-प्रतीति उनके भावो का वर्णन मिलता है, जिनके कारण स्व...
कर्मा बाई जी
भक्तमाल की माला ऐसी माला है जिसमे अनेक भक्तो की रीती-प्रतीति उनके भावो का वर्णन मिलता है, जिनके कारण स्वयं भगवान् उन भक्तो के वश में होकर रहते है, इसी माला का एक मोती है श्री करमा बाई जी, आइये आज के लेख में उन्ही का भाव प्रस्तुत है,
कर्मा बाई जी भगवान को बाल भाव से भजती थी.बिहारी जी से रोज बाते किया करती थी. एक दिन बिहारी
जी से बोली - तुम मेरी एक बात मानोगे.
भगवान ने कहा-कहो ! क्या
बात है?
कर्म बाई जी ने कहा-मेरी एक इच्छा है कि एक बार अपने हाथो
से आपको कुछ बनाकर खिलाऊ.
बिहारी जी ने कहा-ठीक है! अगले दिन कर्माबाई जी ने खिचड़ी
बनायीं और बिहारी जी को भोग लगाया,जब बिहारी जी ने खिचड़ीखायी, तो उन्हे इतनी अच्छी
लगी, कि वे रोज आने लगे. कर्मा बाई जी रोज सुबह उठकर सबसे पहले खिचड़ी बनाती बिहारी
जी भी सुबह होते ही दौड़कर आते और दरवाजे से ही आवाज लगाते, माँ में आ गया जल्दी से
खिचड़ी लाओ कर्मा बाई जी लाकर सामने रख देती भगवान भोग लगाते और चले जाते.
एक बार एक संत कर्माबाई जी के पास आये और उन्होंने सब
देखा तो वे बोले आप सर्वप्रथम सुबह उठाकर खिचड़ी क्यों बनाती है ? ना स्नान किया, ना
रसोई घर साफ की, आप को ये सब करके फिर भगवान के लिये भोग बनाना चाहिये, अगले दिन कर्माबाई
जी ने ऐसा ही किया.
जैसे ही सुबह हुई भगवान आये और बोले माँ में आ गया, खिचड़ी
लाओ.
कर्मा बाई जी ने कहा-अभी में स्नान कर रही हूँ, थोडा रुको! थोड़ी
देर बाद भगवान ने आवाज लगाई, जल्दी कर माँ, मेरे मंदिर के पट खुल जायेगे मुझे जाना
है. वे फिर बोली - अभी में सफाई कर रही हूँ, भगवान ने सोचा आज मेरी माँ को क्या हो
गया? ऐसा तो पहले कभी नहीं हुआ. भगवान ने झटपट जल्दी-जल्दी खिचड़ी खायी, आज खिचड़ी
में भी वो भाव, स्वाद नहीं आया और बिना पानी पिए ही भागे, बाहर संत को देखा तो समझ
गये जरुर इसी संत ने कुछ पट्टी पढाई होगी. पुजारी जी ने जैसे ही मंदिर के पट खोले तो
देखा भगवान के मुख से खिचड़ी लगी थी. वे बोले- प्रभु! ये खिचड़ी कैसे आप के मुख में
लग गयी?
भगवान ने कहा-पुजारी जी आप उस संत के पास जाओ और उसे समझाओ,
मेरी माँ को कैसी पट्टी पढाई? पुजारी जी ने संत से सारी बात कही और संत घवराए और तुरंत
कर्मा बाई जी के पास जाकर कहा- कि ये नियम धरम तो हम संतो के लिये है, आप तो जैसे बनाते
थी वैसे ही बनाये. अगले दिन से फिर उन्होंने वैसे ही बनाना शुरु कर दियाऔर भगवान बड़े
प्रेम से प्रतिदिन आते और खिचड़ी खाते.
एक दिन कर्मा बाई जी मर गयी तो भगवान बहुत रोये. जो पुजारी
जी ने पट खोला भगवान रो रहे थे. पुजारी जी ने पूछा - आप क्यों रो रहे हो? तो भगवान
बोले - पुजारी जी! आज मेरी माँ मर गयी. अब मुझे कौन खिचड़ी बनाकर खिलायेगा ?
![]() |
जगन्नाथ भगवान |
पुजारी जी बोले प्रभु आज से आप को सबसे पहले
रोज खिचड़ी का भोग लगेगा इस तरह आज भी जगन्नाथ भगवान को खिचड़ी का भोग लगता है.
COMMENTS