टोना-टोटका सही या अंधविश्वास किसी पर टोने टोटके करने से क्या होता है? क्या सचमुच में टोने टोटके या किया कराया होता है? क्या कोई...
टोना-टोटका सही या अंधविश्वास
किसी पर टोने टोटके करने से क्या होता है? क्या सचमुच में टोने टोटके या किया कराया होता है? क्या कोई इस तरीके से किसी का बुरा या अनिष्ट कर सकता है? क्या यह सब केवल वहम की बाते है? क्या आधुनिक युग में ये सब बेकार की बाते है? आइये ऐसे ही कुछ अनबुझे सवालों की जानकारी लेते है,आज,
जादू टोना-टोटका सुनने से जितना भयावह लगता है उतना ही इसका असर हो सकता है, लेकिन वैज्ञानिक दृष्टि से समझा जाए तो यह सब ऊर्जा का खेल है,और ऊर्जा के संतुलन से ही इसका इलाज किया जा सकता है, अन्यथा पीढ़ी दर पीढ़ी वहम की अग्नि में जलकर हम अपना ही नाश कर लेते है, इसलिए आज यह समझ लेते है की यह सब क्या है? और कैसे अपने को सुरक्षित रख सकते है,
पारम्परिक रूप से समझे या आधुनिक युग की दृष्टि से यह तो हम सब जानते ही है की हमेशा दो प्रकार की ऊर्जा कार्य करती है, सकारात्मक (positive) और नकारात्मक (negative), जब किसी व्यक्ति विशेष पर नकारात्मक ऊर्जा का ज्यादा प्रभाव पद जाता है तो वह गलत तरीके से व्यवहार करने लगता है, बीमार रहने लगता है, बहकने लगता है, या पागलपन जैसी हरकते करता है, यह सब नकारात्मक ऊर्जा के प्रभाव से होता है, जब कोई व्यक्ति किसी दूसरे का अनिष्ट करने की सोचता है तो वह यही करता है की उसके आस पास नेगेटिव ऊर्जा का संचार कर देता है, जिसे हम टोना या टोटका भी कहते है,
तांत्रिक और योगी भी यही मानते है की इस ब्रह्माण्ड में दोनों शक्तियाँ कार्य करती है, और हम सब उसी ऊर्जा का परिवर्तित रूप है,
कुछ ऐसे लक्षण होते है जिन्हे समझकर हम जान सकते है की क्या किसी पर जादू टोना या टोटका हुआ है या नकारात्मक ऊर्जा या शक्ति काम कर रही है,
१. जैसे ही नकारात्मक ऊर्जा शरीर के संपर्क में आती है हमारी नाड़ी तेज हो जायेगी,धड़कने बढ़ जायेगी, रक्तचाप अधिक हो जाएगा, बुखार जैसा लगने लगेगा, या पसीने आएंगे, अर्थात जितना ज्यादा प्रभाव होता है उतनी पीड़ा ज्यादा होने लगती है,
२. मानसिक शक्ति काम करना बंद करने लगती है, शरीर भी कमजोर पड़ने लगता है,
३. स्वप्न भी बुरे बुरे दीखते है, जैसे ऊंचाई से गिरना, जानवर का हमला या चौंक क्र जाग जाना डर लगना,
४. रात को सोते समय एक लोटा जल सिरहाने रखना और सुबह पौधे में डालना लगातार पांच सात दिन यदि उस जल से पौधा मुरझा जाए तो समझ लेना चाहिए की कोई नकारात्मक ऊर्जा प्रभावी हो रही है,
५. निम्बू का प्रयोग करने से भी इसका पता लगाया जा सकता है, रात को सिरहाने एक निम्बू रखकर सोये सुबह यदि निम्बू काला पड़ जाए या सुख जाए तो समझना चाहिए की कुछ गड़बड़ है,
कोई कैसे तंत्र की क्रिया किसी पर करता है आइये जानते है:
ज्यादातर ऐसे प्रयोग खाने की वस्तु से करते है, विशेष रूप से मिठाई से, इसलिए कभी किसी अनजान से मीठा न ले,ना ही कोई पान.सुपारी,इलायची,इत्र जैसी वस्तुओ को ले, इसके अलावा कई बार लोग घर में आकर कोई वस्तु दाल जाते है जैसे कोयला, मिटटी या कोई और वस्तु, घर को सँभालते वक्त ये ध्यान रखना चाहिए की कोई ऐसी वस्तु दिखाई दे जो घर का कोई सदस्य न लाया हो तो तुरंत उसे हटाना चाहिए,
टोने टोटके क्या अंधविश्वास की बात है :
हमारे देश में जब भी किसी को गंभीर बीमारी हो जाती है, डॉक्टर जवाब दे देते हैं, तो लोग बाबा, मुल्ला, मौलवी, तांत्रिक आदि की शरण में चले जाते हैं। वो तमाम तरह के टोने-टोटके करने की सलाह देते हैं, इत्तेफाक से जब वो सफल हो जाते हैं, तो टोना करने वाला व्यक्ति पीड़ित के लिए भगवान से कम नहीं होता। देश में तमाम लोग ऐसे भी हैं, जो इन बातों पर विश्वास नहीं करते, लेकिन यह बात सच है कि आप विश्वास करें या न करें, इन बातों को लेकर डर जरूर लगता है। यहां हम उन्हीं टोटकों की बात करेंगे जिनसे आदमी सबसे ज्यादा डरता है- ये वो टोटके हैं जो प्रायः हमें किसी भी चौराहों, सुनसान जगह, प्रमुख स्थानों के आस पास देखने को मिल जाते हैं। ये वो टोटके हैं, जो केवल और केवल अंधविश्वास और नकारात्मक उर्जाओं की उपज हैं, अमूमन आदमी इन टोटको का प्रयोग कार्यसिद्धि के लिए करता है जहां इन टोटको के माध्यम से व्यक्ति को ये उम्मीद होती है की उसके रुके हुए काम पूरे हो जायंगे और उसका बिगड़ा भाग्य सुधर जायगा।
पूर्ण रूप से यह बात तो सत्य है की ऊर्जा का प्रभाव हम सब पर होता है, लेकिन इसको लेकर किसी अंधविश्वास को पालना हमे और अधिक नेगेटिव बना देता है, इसलिए इन सब बातो से प्रभावित न होकर हमे स्वयं को इतना शक्तिवान बनाना होगा की कोई भी नकारात्मक ऊर्जा से लड़ने की ताकत हमारे पास हो अर्थात हमारे पास शरीर में , मन में, और घर,व्यापार स्थान में इतनी पॉजिटिव ऊर्जा हो की नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश ही न कर पाए, और कर भी ले तो बिना नुक्सान के उसे लौटना पड़े,
आइये अपने घर और आस-पास की ऊर्जा को सकारात्मक बनाने के उपाय और लाभ जानते है, जिससे कोई अंधविश्वास न उत्पन्न हो और हम किसी टोने टोटके या नकारात्मक ऊर्जा से परेशान न हो, आपके घर में यदि सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है तो आपके घर-परिवार में खुशहाली आती है। वास्तु के अनुसार आपके घर में दरिद्रता, बीमारी, कलह आदि का कारण नकारात्मक ऊर्जा है, जो आपके परिवार का सुख-चैन छीनती है।
* घर की नियमित साफ-सफाई नहीं होने से दीवारों व सामानों पर धूल-मिट्टी जम जाती है, जिससे घर में नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती है।
* आजकल दीपावली, शादी, जन्मदिन आदि अवसरों पर देवी-देवताओं की मूर्तियाँ उपहारस्वरूप देने का चलन है। भगवान की मूर्तियों को उपहारस्वरूप देना व घर में शो-पीस के रूप में सजाना दोनों ही गलत है।
* बच्चों के पुराने खिलौनों की नियमित सफाई होना भी बेहद जरूरी है। इन टूटे-फूटे व धूल लगे खिलौनों में हानिकारक बैक्टीरिया होते हैं, जिन्हें वास्तु की भाषा में नकारात्मक तत्व कहा जाता है।
* घर में बेकार, टूटा-फूटा या जंग लगा सामान एकत्र नहीं करना चाहिए। खासकर बंद पड़ी घडि़यों व टूटी मूर्तियों का घर में होना वास्तु के अनुसार अच्छा नहीं माना जाता है।
* वास्तु की भाषा में खुला-खुला घर व्यक्ति के खुले विचारों का द्योतक माना जाता है। अत: आपका घर जितना हवादार व खुला होगा उतनी ही सकारात्मक ऊर्जा आपके घर में प्रवेश करेगी।
* खाली पड़े व बिखरे बर्तन घर के खालीपन के द्योतक होते हैं। सजावट के लिए हम मिट्टी व टेराकोटा के कई प्रकार के बर्तनों, घड़ों आदि का उपयोग करते हैं। इन्हें घर में सजाना तो ठीक है परंतु यहाँ-वहाँ लुढ़के व खाली पड़े बर्तन वास्तु में अच्छे नहीं माने जाते।
* अपने घर के आंगन में तुलसी का पौधा लगाएं। इसे बहुत पवित्र माना जाता है। मान्यता है कि प्रतिदिन तुलसी पर जल चढ़ाने और दीपक जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास रहता है।
* प्रत्येक दिन घर में पूजा जरूर करनी चाहिए। पूजा के समय घत में शंख,घंटियां बजानी चाहिए। ऐसा करने से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है।
*घर में प्रतिदिन रोटियां बनाते समय पहली रोटी गाय को और दूसरी कुत्ते को देनी चाहिए। ऐसा रोज करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है।
संसार की प्रत्येक वस्तु, जिसमें हमारा शरीर भी है, पंच महाभूतों- पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश से मिल कर बना है। इन पांचों तत्वों की अपनी-अपनी ऊर्जा होती है। इन सबकी ऊर्जा मिल कर सामूहिक ऊर्जा का निर्माण करती है, जिसे प्राण ऊर्जा कहा जाता है। यह प्राण ऊर्जा जब ब्रह्मांड में कार्य करती है तब उसे ब्रह्मांडीय ऊर्जा और जब इस पिण्ड (शरीर) में कार्य करती है तो उसे पिण्डीय ऊर्जा कहा जाता है। शरीर में स्थित यह प्राण ऊर्जा पूरे शरीर को संचालित करती है। जब तक यह ऊर्जा ठीक प्रकार से कार्य करती है, तब तक व्यक्ति स्वस्थ बना रहता है, परंतु जब यह ऊर्जा असंतुलित व अव्यवस्थित हो जाती है तब अनेक प्रकार के रोग पैदा होने लगते हैं।
शरीर को ऊर्जा कैसे मिलती है? सत्कर्म से सकारात्मक ऊर्जा, बुरे कार्यों से नकारात्मक ऊर्जा व निष्काम कर्म से ऊर्जा ऊर्ध्व गति को प्राप्त होती है। सकारात्मक ऊर्जा व्यक्ति में उत्साह, उमंग, उल्लास व रचनात्मकता बढ़ाती है। नकारात्मक ऊर्जा व्यक्ति में निराशा, उदासी, तनाव, दु:ख व रोग बढ़ाती है। ऊर्जा की ऊर्ध्व गति व्यक्ति में ज्ञान, प्रेम व आनंद का संचार करती है।
पांचों तत्वों की ऊर्जा हम ब्रह्मांड से इस शरीर में पांचों ज्ञानेन्द्रियों, पांचों कर्मेन्द्रियों व मन के द्वारा प्राप्त करते हैं। पांचों ज्ञानेन्द्रियों- आंख से अच्छा दृश्य देखकर, कान से मधुर वचन, संगीत या ज्ञान चर्चा सुनकर, नाक से सुगंध सूंघ कर, जिह्वा से स्वादिष्ट भोजन कर, त्वचा से कोमल स्पर्श द्वारा ऊर्जा प्राप्त करते हैं। इसी प्रकार पांचों कमेन्द्रियों से कार्य कर ऊर्जा प्राप्ति का अनुभव किया जाता है। इसके अतिरिक्त यदि हम कमर, गर्दन व सिर सीधा रखें तो शरीर की ऊर्जा संतुलित व व्यवस्थित बनी रहती है। इस प्रकार हमें ध्यान देना चाहिए कि ऊर्जा का संचय अधिक हो रहा है या खर्च। ऊर्जा का संचय हमें ऊर्जावान, प्राणवान, तेजवान, बलवान व निरोगी बनाता है। ऊर्जा के अधिक खर्च से शरीर जल्दी बूढ़ा व रोगी होने लगता है। जरूरत है हमें अपने प्राप्त को सही दिशा देने की।
हमारे भीतर परमात्मा विध्यमान है, यदि विध्यमान भगवान् को प्रगट कर लिया जाए तो कोई बहुत प्रेत आत्मा,जादू टोना टोटका कुछ नहीं बिगड़ सकता, परमेश्वर की शक्तिया ही सर्वोच्च है, ईश्वर के बल पर अपने को शक्तिशाली बनाओ कोई बाधा कुछ नहीं बिगाड़ सकता, यदि हमारा विश्वास, आस्था अपने परमेश्वर पर पूर्ण रूप से है तो हमारे भीतर सदैव सकारात्मक ऊर्जा का ही संचार होगा कभी कोई अहित नहीं हो सकता है,
कभी कभी पितृ दोष या जिन आत्माओ का मोक्ष नहीं हुआ और उसका प्रभाव किसी पैर हो तो स्वामी शंकराचार्य जी हिदायत देते है की, ऐसे जीव की तृप्ति के लिए वैदिक उपाय कीजिये लकिन भूलकर भी किसी तांत्रिक,ओझा, या टोना टोटका का सहारा न ले, इससे न ही आपका कल्याण होगा न ही उस जीवात्मा का, केवल वैदिक उपाय कीजिये उसकी सद्गति कीजिये,
पांचों तत्वों की ऊर्जा हम ब्रह्मांड से इस शरीर में पांचों ज्ञानेन्द्रियों, पांचों कर्मेन्द्रियों व मन के द्वारा प्राप्त करते हैं। पांचों ज्ञानेन्द्रियों- आंख से अच्छा दृश्य देखकर, कान से मधुर वचन, संगीत या ज्ञान चर्चा सुनकर, नाक से सुगंध सूंघ कर, जिह्वा से स्वादिष्ट भोजन कर, त्वचा से कोमल स्पर्श द्वारा ऊर्जा प्राप्त करते हैं। इसी प्रकार पांचों कमेन्द्रियों से कार्य कर ऊर्जा प्राप्ति का अनुभव किया जाता है। इसके अतिरिक्त यदि हम कमर, गर्दन व सिर सीधा रखें तो शरीर की ऊर्जा संतुलित व व्यवस्थित बनी रहती है। इस प्रकार हमें ध्यान देना चाहिए कि ऊर्जा का संचय अधिक हो रहा है या खर्च। ऊर्जा का संचय हमें ऊर्जावान, प्राणवान, तेजवान, बलवान व निरोगी बनाता है। ऊर्जा के अधिक खर्च से शरीर जल्दी बूढ़ा व रोगी होने लगता है। जरूरत है हमें अपने प्राप्त को सही दिशा देने की।
हमारे भीतर परमात्मा विध्यमान है, यदि विध्यमान भगवान् को प्रगट कर लिया जाए तो कोई बहुत प्रेत आत्मा,जादू टोना टोटका कुछ नहीं बिगड़ सकता, परमेश्वर की शक्तिया ही सर्वोच्च है, ईश्वर के बल पर अपने को शक्तिशाली बनाओ कोई बाधा कुछ नहीं बिगाड़ सकता, यदि हमारा विश्वास, आस्था अपने परमेश्वर पर पूर्ण रूप से है तो हमारे भीतर सदैव सकारात्मक ऊर्जा का ही संचार होगा कभी कोई अहित नहीं हो सकता है,
कभी कभी पितृ दोष या जिन आत्माओ का मोक्ष नहीं हुआ और उसका प्रभाव किसी पैर हो तो स्वामी शंकराचार्य जी हिदायत देते है की, ऐसे जीव की तृप्ति के लिए वैदिक उपाय कीजिये लकिन भूलकर भी किसी तांत्रिक,ओझा, या टोना टोटका का सहारा न ले, इससे न ही आपका कल्याण होगा न ही उस जीवात्मा का, केवल वैदिक उपाय कीजिये उसकी सद्गति कीजिये,
अंत में यही जानना चाहता हूँ की यह जानकारी पढ़कर आपको कैसा लगा? मुझे उम्मीद है की इस आर्टिकल से बहुत से अंधविश्वास दूर होंगे और वैज्ञानिक एवं आध्यात्मिक दृष्टि से उचित वैदिक विधिया ही हमारे जीवन में खुशियों का मन्त्र है, सकारात्मक सोच-विचार,वातावरण और ऊर्जा ही हमे सब वहां,दुखो और परेशानियों से मुक्त कर सकते है, और जैसा की श्री रामचरित मानस में लिखा गया है,
आप सब का मंगल हो, सदैव परमात्मा की शक्तियों का और सकारात्मकता का संचार हो यही भावना से यह लेख लिखा है........जय श्री राधेश्याम
आप सब का मंगल हो, सदैव परमात्मा की शक्तियों का और सकारात्मकता का संचार हो यही भावना से यह लेख लिखा है........जय श्री राधेश्याम
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