सभी तैरना चाहते है,अच्छी बात है, किन्तु बहने में जो आनंद है वह तैरने में कहाँ ? तैरने में संघर्ष है,जबकि बहने में निर्बाध गति, प्रयासर...
सभी तैरना चाहते है,अच्छी बात है, किन्तु बहने में जो आनंद है वह तैरने में कहाँ ? तैरने में संघर्ष है,जबकि बहने में निर्बाध गति, प्रयासरहित गति, किन्तु बहने की कला को आसान न समझ लेना, तैरना तो सीखा जा सकता है, किन्तु बहना आने के लिए अनुभव करना पड़ता है, बहना कोई साधारण शब्द नहीं है, बहना सिखने के लिए भीतर ज्ञान की फूँक भरनी पड़ेगी,
संसार के सागर में हम सब तैरना चाहते है, जल्दी और जल्दी किनारा पाना चाहते है, लगे हुए है हाथ पाँव मारने में, ये भी ले लूँ, वो भी पा लूँ, रिश्ते भी निभा लूँ, लोकाचार भी कर लूँ, रिश्ते निभा लूँ, मित्रता निभा लूँ, बीटा हूँ, बेटी हूँ, बहु हूँ, न जाने क्या क्या हूँ? किन्तु जब तक तैरते रहोगे, मंजिल नहीं मिलेगी, मिल भी जायेगी तो इतना तक जाओगे उसे पाने में अर्थात तैरने में,की मंजिल पर पहुँच कर भी उस पहुँचने का आनंद नहीं ले पाओगे, यदि बहना आ गया तो, जीवन के सफर का भी आनंद ले लोगे और बिना किसी परिश्रम के थकावट के मंजिल पर पहुँच जाओगे,और मंजिल की सुंदरता का भी आनंद ले पाओगे, इसलिए तैरना नहीं बहना सीखो,
इसी तरह रिश्ते - नाते निभाओ लेकिन उनमे आसक्ति मत भरो, उम्मीद मत पालो, सहज सहज अपने काम करते चलो, बंधन नहीं, किसी को खुश रखने के लिए कोई झूठा आडम्बर का लबादा नहीं ओढ़ना, जैसे हो, जो हो उसी में मस्ती लो और बहते रहो, एक दिन जब जीवन के किनारे पर पहुँच जाओगे, मृत्यु आएगी तो कोई संताप नहीं होगा, दुःख नहीं होगा, और अंतिम क्षणों में भी आनंद से गले लगोगे, इसलिए मेरे दोस्त, मेरे भाई,कभी तैरना मत सीखो, बहना सीखो,
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