Geet गोपी गीत: तृतीय श्लोक (आत्मभाव) Meaning Of Gopi Geet Third Shlok Of GopiGeet Vikas Agarwalगोपी गीत का अर्थ तृतीय श्लो...

गोपी गीत: तृतीय श्लोक (आत्मभाव)
Meaning Of Gopi Geet Third Shlok Of GopiGeet Vikas Agarwalगोपी गीत का अर्थ तृतीय श्लोक का अर्थ
गोपी गीत तृतीय श्लोक गोपी आत्मभाव(भावार्थ)
-श्लोक-
विषजलाप्ययाद्व्यालराक्षसाद्वर्षमारुताद्वैद्युतानलात् ।
वृषमयात्मजाद्विश्वतोभया दृषभ ते वयं रक्षिता मुहुः ॥3॥
-भावार्थ-
गोपियाँ कहती है, हे चैतन्य स्वरुप माधव आप अपने नेत्रों के कृपा कटाक्ष से जड़ जीवों को भी सजीव करने वाले है फिर हम गोपियाँ जो जड़मति हो गयी है तुम्हारे विरह में हम पत्थर हो गयी है तुम अपने इन कमलनयनों से क्यों नही अपनी करुणा का अमृत वर्षण कर रहे क्यों नही अपने रूप का दर्शन हमे प्रदान कर रहे हो,
मेरे साँवरिया....
" जल्व़ा-ऐ-हुस्न दिखा जाओ
तो कोई बात बने ,
मेरी नज़रों में समा जाओ
तो कोई बात बने ,
आपकी सूरत नज़र आती है
धुँधली धुँधली ,
पर्दा नज़रों से हटा जाओ
आपने अनेकानेक बार हम सब का रक्षण किया है, जब कालिया नाग के विष से सारी यमुना का जल विषाक्त हो गया तब आपने ही अपनी कृपा से हम सब ब्रिजवासिन की रक्षा की है, जब अघासुर अजगर बनकर सकल गोकुल वासियों को निगलना चाहता था तब भी आपने ही हमारी रक्षा की है, अनेक राक्षशों व्योमासुर,बकासुर इत्यादि से बचाया है और यही नही जब इंद्र कुपित हो गया और सकल बृजमंडल को डूबना चाहता था, भारी वर्षण,आंधी का प्रचंड वेग और विद्युत् की असहनीय गडगडाहट से हम सब को बचाया हे! गिरिधर यह सब आपकी कृपा का ही फल था हम सब आपके ऋणी है आपने कोई भी अवसर हमारी रक्षा का नही छोड़ा सदैव हम सब की रक्षा के लिए तत्पर रहे हो, ,
Gopi Geet (Pundrik Ji Goswami).
हे मधुसूदन ! हम जीव आज इस घोर कलियुग में अनेकानेक वासनाओ के शिकार है, मोह,लोभ दम्भ,पापाचार, स्वार्थ,विषय, काम लोलुपता से ग्रसित अनंत दुर्गुणों से पीड़ित है,यही नही इन सब से ग्रसित न जाने कितने कुकृत्य में संलिप्त है, हे माधव! भाव सागर में डूबता हुए हम सब के तारणहार आप कहा छुप गए हो? ना केवल उस युग में आपने गोकुलवासियों की रक्षा की है आज भी हमे आपकी करुणादृष्टि और वरद हस्त का आशीर्वाद चाहिए आप का संग चाहिए, हे प्रभो ! हमारी रक्षा कीजिये, क्रमशः
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