संगकीर्तना : संगकीर्तना यानी सब मिलकर संग में कीर्तन करे, एक ही बोले और एक ही गाते रहे ऐसा कोई कीर्तन संग-कीर्तन नहीं कहलाता, ...
संगकीर्तना :
संगकीर्तना यानी सब मिलकर संग में कीर्तन करे, एक ही बोले और एक ही गाते रहे ऐसा कोई कीर्तन संग-कीर्तन नहीं कहलाता, केवल कीर्तन होता है, संग-कीर्तन जब सभी भाव विभोर होकर एक-भाव से प्रभु का कीर्तन करते है वह शब्द ब्रह्म का पुंज प्रभु तक अवश्य पहुँचता है, और ऐसा संकीर्तन किसी महान संत के सानिध्य में हो जाए तो यह सोने पर सुहागा जैसी बात हो जाती है, मेरा यही प्रयास है की ज्यादा से ज्यादा संगकीर्तन आप तक पहुंचा सकू जिससे की आप सभी भी ऐसे दिव्या संगकीर्तन का हिस्सा बन सके , इसी श्रंखला में प्रस्तुत है,महाराज श्री की मधुरं वाणी में संगकीर्तना, आइये पूर्ण भाव से हम भी गाये दिव्या संगकीर्तन,
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