जननी से बढ़कर है गौमाता गौमाता है पालनहारी सृष्टि का आधार है, क्यों भूल गया इंसान? करता मांसाहार है, जिसको तुम काट रहे क्या...
जननी से बढ़कर है गौमाता
गौमाता है पालनहारी सृष्टि का आधार है,
क्यों भूल गया इंसान? करता मांसाहार है,
जिसको तुम काट रहे क्या नहीं जानते उसको
जननी भी दूध पिलावे कुछ समय तक हमको
कैसे अत्याचारी है जो जननी को लज्जाते है,
दूध पिलाने वाली माँ को काट काट कर खाते है,
किस खून से पैदा हुए जो मर्म हत्या कर जाते हो
हर गौ माँ के क़त्ल की सजा चौक पर फ़ासी हो
ऐसे वहशी दरिंदो का रहना भारत में नहीं स्वीकार है
कैसे निर्मम हत्यारे है लाज इन्हे नहीं आती
छुरी चलाते गर्दन पर माँ की क्यों शर्म नहीं आती ?
एक एक वार का बदला इनसे अंग काट कर लो
तभी होगा मालूम इन्हे उस माँ की पीड़ा का एहसास भी हो
रग रग से जब लहू बहेगा यही तिरस्कार है,
गौमाता है पालनहारी सृष्टि का आधार है
हिन्दू संस्कृति ही नहीं सब धर्मो को ये माँ स्वीकार है
हर धर्मग्रन्थ का इस माँ से गहरा नाता और प्यार है
क्यों भूल गया इंसानियत मानव करता सृष्टि अपकार है
ऐसा भारतभूमि पर अत्याचार नहीं किसी का स्वीकार है,
मिले सजा उसी पल पापी कोजो करता निर्मम संहार है ..
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