पुकारो जीवन को मृत्यु तो स्वयं आ जायेगी एक रात भगवान् के बनाये चाँद और सितारों से भरी रात्रि का नज़ारा देख रहा था किसी पेड़ के सहारे ...
पुकारो जीवन को मृत्यु तो स्वयं आ जायेगी
एक रात भगवान् के बनाये चाँद और सितारों से भरी रात्रि का नज़ारा देख रहा था किसी पेड़ के सहारे बैठा, जैसे जैसे रात गहराई तारो की चमक बढ़ने लगी, आकाश की चुनरी और अधिक चमकने लगी, बहुत आनंद आ रहा था प्रकर्ति के रूप को और भगवान् की किरपा को देखकर, तभी एक ढीला ढाला सा हाथ मेरे कंधे पर किसी ने रखा, ऐसा एहसास हुआ जैसे उसमे जान ही नहीं है, बहुत हताशा से भरा, किन्तु में मौन रहा, कुछ भी नहीं बोलै, वह भी वही मेरे पास बैठ गया, अत्यंत मायूस चेहरा,ग्लानि और पीड़ा से भरा हुआ था वह, काफी देर शांत बैठे रहने की बाद अचानक रो पड़ा था वह इंसान,कहने लगा की मरना चाहता हूँ मेरे पास कुछ भी नहीं है, मुझे जीने का कोई हक नहीं है, मैं लूट चूका हूँ,मैंने उसे गौर से देखा, कुछ देर निहारने की बाद में कुछ बोला उसे," तुम कहते हो की तुम्हारे पास कुछ नहीं है,लकिन तुम्हारे पास तो बहुत बड़ा खजाना है, और में एक राजा को जनता हूँ जो तुम्हारा खजाना खरीद लेगा, बड़े अच्छे दाम में, बोलो बेचोगे खजाना, इससे तुम्हारी समस्या का हल हो जायेगा,
वह व्यक्ति मेरी ओर देख कर बोला, आप क्या मज़ाक कर रहे है? कौन सा खजाना? उसके लिए मेरी बाते पहेली जैसी थी,लकिन वह फिर भी मेरी साथ महल की ओर चलने लगा,मार्ग में मैंने उससे कहा,"कुछ ब्बते पहले तय कर लो की कौन सी वास्तु का कितना दाम लोगे? बाद में झंझट न हो क्योंकि राजा को जो भी पसंद आएगा वो लिए बिना नहीं छोड़ेगा," वह व्यक्ति हैरानी से बोला," कौन सी वास्तु? कौन सा खजाना?"
मैंने धीरता ओर गंभीरता से कहा,"जैसे तुम्हारी आँखे,क्या दाम लोगे? तुम्हारा दिल, गुर्दे, हाथ या पाँव सबकी कीमत तय कर लो अभी से, उसे लगा में पागल हूँ,क्या कोई ये सब बेचेगा? आप मुर्ख तो नहीं?
मैंने कहा," में तो मुर्ख ही हूँ, किन्तु जब तुम्हारे पास लाखो का खजाना है ओर तुम बेचना नहीं चाहते,तो उस खजाने का उपयोग क्यों नहीं करते? परमात्मा ने यदि निरोगी काया रुपी खजाना दिया है तो इसका उपयोग करो, बिना उपयोग की भरा हुआ खजाना भी व्यर्थ होता है,
रात बहुत हो गयी है जाओ सो जाओ, कल सुबह एक नई उम्मीद,एक नए उत्साह से जीवन शुरू करो, नई चेतना भर कर नए जीवन की शुरुआत करो,जीवन वैसे ही बनता है जैसे हम बनाते है,इसे हम मृत्यु भी बना सकते है ओर अमृत भी, इसलिए अमृत की पुकार करो,बुलाओ जीवन की अनुपम किरणों को,जो केवल श्रम, शक्ति,संकल्प ओर साधना से मिल सकती है,वर्ना मृत्यु को बुलावे की आवश्यकता नहीं उसे जब आना है वह तो आ ही जायेगी........
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