रामनाम के मोती चुग मनहंसा, काहे उड़ उड़ जाए रे जब हीरे मोती मिले हुए है क्यों कंकड़ पत्थर भाये रे डाल डाल पर उड़ता फिरता,क्यों न ए...
रामनाम के मोती चुग मनहंसा, काहे उड़ उड़ जाए रे
जब हीरे मोती मिले हुए है क्यों कंकड़ पत्थर भाये रे
डाल डाल पर उड़ता फिरता,क्यों न एक ठिकाना बनाये रे
राम नाम है तारण हारा फिर क्यों ना रटना लगाए रे
समय का पहिया घूम रहा जोर का अंत समय पछताए रे
नाम मिला है श्री राम प्रभु का, क्यों वृथा समय गवाए रे
रामनाम है अमृत सागर पी-पी मन मस्त नाम में हो जाए रे
रे मन हंसा टेर नाम की लगा ले हर श्वास - श्वास में गाये रे
नाम सुमिरन से प्रसन्न प्रभु एक दिन तेरे द्वारे अलख जगाये रे,
जब तार दिया गज गणिका अजामिल तो तेरे बेर देर ना लगाए रे
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