राम आये ना कुठरिया कह रही शिबरी रोज सवेरे वन में जाऊ, फल चुन चुन कर लाऊ अपने प्रभु के सन्मुख रखकर प्रेम से भोग लगाऊ भर लायी बेर...
राम आये ना कुठरिया कह रही शिबरी
रोज सवेरे वन में जाऊ, फल चुन चुन कर लाऊ
अपने प्रभु के सन्मुख रखकर प्रेम से भोग लगाऊ
भर लायी बेरो की छबलीया कह रही शिबरी ....राम आये ना कुठरिया
राम तुम्हारे दर्शन पाउ, जीवन सफल बनाऊ
मधुर मनोहर सूरत तुम्हारी देख देख सुख पाऊ
तुम्हारी झाड़ू रोज़ डगरिया कह रही शिबरी........राम आये ना कुठरिया
आशा है मिलने की जाने कब दर्शन पाउंगी
तन मन धन सब कर अर्पण परमधाम जाउंगी
अब तो थोड़ी सी उमरिया कह रही शिबरी......राम आये ना कुठरिया
राम तुम्हारे मिलने कारण बन में उम्र गुजारुं
अंखिया है दर्शन की प्यासी निशदिन बाट निहारु
राह देखत थक गयी नजरिया कह रही शिबरी....राम आये ना कुठरिया
नीच जाति की भीलनी की जाई, मैं अबला एक नारी
राम दर्श के भजन बिना मैं हो गयी बहुत दुखारी
राम कब आओगे मेरी झुपड़िया कह रही शिबरी ......राम आये ना कुठरिया
पुण्य इकट्ठे किये बहुत से तब ये नर देह पाई
राम दर्श के भजन बिना मैं सिरधून के पछताई
वृथा खोयी देइ रे उमरिया, सुध कैसे बिसरि?.....राम आये ना कुठरिया
COMMENTS