महाशिवरात्रि : शिवं शिवार्धावयवम शिवंकरं हरं महामोहहरं हरिप्रियम I गौरं गुरुं गंगतरंगसंगमं भव...
महाशिवरात्रि :
शिवं शिवार्धावयवम शिवंकरं
हरं महामोहहरं हरिप्रियम I
गौरं गुरुं गंगतरंगसंगमं
भवं भवभावकरं भजाम्यहम II
महा: अर्थात जो अनंत है,जिसकी कोई सीमा नहीं है,
शिव: अर्थात जो अनश्वर है,जो शाश्वत है,जिसका कोई जनम या मृत्यु नहीं है,
रात्रि: अर्थात गहनता, गंभीर,
जिस रात्रि को शाश्वत शिव की अनश्वर शिव की महा अर्थात अनंत कृपा वर्षण हो उसे ही महाशिवरात्रि कहना उचित है, महाशिवरात्रि एक और आनंद और उल्लास का पर्व है क्योंकि इसी रात्रि में भगवान् शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था,वही यह रात्रि गहन आध्यात्म ज्ञान, कल्याण और आध्यात्मिक साधना उन्नति का भी पर्व है, भगवान् शिव जो की सृष्टि के प्रलय, तांडव और क्रोध के लिए चर्चित है वही भोले भंडारी और सरल स्वभाव के भी स्वामी है, महादेव स्वभाव से इतने सरल और सहज है की एक जल के पात्र और बिल्व पत्र,फूल और फल से प्रसन्न हो जाते है, बहुत ही सरल कोई भक्त यदि सरल भाव से शिव की शरण होता है तो महादेव उसका कष्ट क्षण मात्र में हर लेते है, शायद इसीलिए हर हर महादेव का नारा लगाया जाता है की हे महादेव ! हमारा हर दुःख हर कष्ट और चिंता का हरण कीजिये, इसी श्रृंखला में महादेव की स्तुति रूप से इस महाशिवरात्रि जोकि कुछ ही दिनों में आ रही है, उसके सन्दर्भ में कुछ महत्वपूर्ण प्रार्थना आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हु जोकि हम सभी के लिए लाभप्रद होगी:
महादेव का जलाभिषेक : भगवान् शिव को गंगाजल अति प्रिय है, कहते भी है यदि मृत्यु के समय गंगाजल किसी मनुष्य के मुख में पड़ जाए तो उसकी सद्गति हो जाती है तो ऐसे गंगाजल से भगवान् शिव का अभिषेक मनुष्य को अकाल मृत्यु,भय,शोक,जरा और व्याधि से मुक्त करने वाला होता है, इसीलिए भगवान् शिव का गंगाजल अभिषेक करना चाहिए,
महादेव का इत्रादिभिषेक : जैसे बहुत सूंदर पुष्पों का उद्यान हो और चारो तरफ आनंदमयी महक हो तो वह मन मष्तिष्क को प्रसन्नता देता है और हम अत्यन शांत हो जाते है, ऐसे ही यदि भगवान् शिव को पुष्पों के प्राकृतिक महक वाले इत्र से स्नान करवाया जाता है तो, भगवान् शिव अत्यंत प्रसन्न होते है और जैसे जैसे भगवान् प्रसन्न होते है भक्तो की मनोवांछा पूर्ण कर देते है, इसीलिए इत्र से अभिषेक बहुत प्रसन्नता फलदायी होता है,
पुष्प श्रृंगार : शिवरात्रि क्योंकि माँ पार्वती और भगवान् शिव के विवाह की रात्रि है, अर्थात परिणयसूत्र की रात्रि है इसलिए जो कन्या सूंदर और योग्य वर की इच्छा रखती है उन्हें इस रात्रि को भगवान् शिव और माता पार्वती का बहुत सूंदर -सूंदर पुष्पों से श्रृंगारित करे, जितना सूंदर श्रृंगार करेंगे और अपने मन से भावपूर्ण प्रार्थना करेंगे उतना ही हर्ष माता पार्वती जी को होगा और भगवान् शिव प्रसन्न होंगे इसलिए महाशिवरात्रि को कुंवारी कन्या को पुष्प श्रृंगार करना चाहिए,
शिव दारिद्र्यदहन स्तोत्र का पाठ: शास्त्रों के अनुसार शिव ही सांसारिक सुखों का आधार हैं। शिव उपासना तन, मन व धन से जुडी कामनाओं में आने वाली बाधाओं को भी दूर करती है। सांसारिक इच्छाओं का मूल है धन-धान्य और ऐश्वर्य भरा जीवन। हर व्यक्ति के मन में धन संपन्नता और भौतिक सुखों को बंटोरने का भाव आता है, जिसे पूरा करने के लिए वह धार्मिक उपाय चुनता है। ऐसे ही उपायों में फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष कि चतुर्दशी तिथि पर महाशिवरात्रि पर विशिष्ट शिव पूजा में शिव की विशेष मंत्र स्तुति दु:ख, दरिद्रता और धन के अभाव को दूर कर धन, संतान, निरोगी शरीर द्वारा वैभवशाली और संपन्न बना देती है। जानिए यह शिव मंत्र स्तुति, जो दारिद्रयदहन शिवस्तोत्रम् के नाम से प्रसिद्ध है।
स्त्रोत
विश्वेश्वराय नरकार्णवतारणाय
कर्णामृताय शशिशेखरधारणाय।
कर्पूरकांतिधवलाय जटाधराय
दारिद्रयदुःखदहनाय नमः शिवाय।।1।।
गौरीप्रियाय रजनीशकलाधराय
कालान्तकाय भुजगाधिपकङ्कणाय।
गङ्गाधराय गजराजविमर्दनाय ।।2।।
भक्तिप्रियाय भवरोगभयापहाय
उग्राय दुर्गभवसागरतारणाय।
ज्योतिर्मयाय गुणनामसुनृत्यकाय ।।3।।
चर्माम्बराय शवभस्मविलेपनाय
भालेक्षणाय मणिकुण्डलमण्डिताय।
मञ्जीरपादयुगलाय जटाधराय ।।4।।
फणिराजविभूषणाय
हेमांशुकाय भुवनत्रयमण्डिताय।
आनंतभूमिवरदाय तमोमयाय ।।5।।
भानुप्रियाय भवसागरतारणाय
कालान्तकाय कमलासनपूजिताय।
नेत्रत्रयाय शुभलक्षणलक्षिताय ।।6।।
रामप्रियाय रघुनाथवरप्रदाय
नागप्रियाय नरकार्णवतारणाय।
पुण्येषु पुण्यभरिताय सुरार्चिताय ।।7।।
मुक्तेश्वराय फलदाय गणेश्वराय
गीतप्रियाय वृषभेश्वरवाहनाय।
मातङग्चर्मवसनाय महेश्वराय ।।8।।
वसिष्ठेन कृतं स्तोत्रं सर्वरोगनिवारणम्।
सर्वसम्पत्करं शीघ्रं पुत्रपौत्रादिवर्धनम्।
त्रिसंध्यं यः पठेन्नित्यं स हि स्वर्गमवाप्नुयात् ।।9।।
बिल्वपत्र समर्पण: हम सभी जानते है की भगवान् शिव को बिल्व पत्र अत्यंत प्रिय है, किन्तु इन बिल्वपत्र का समर्पण बिल्वाष्टकम स्तोत्र के साथ किया जाए तो अनंत गुना लाभ मिलता है, भगवान् शिव अत्यंत प्रसन्न होते है, इसीलिए यह स्तोत्र साथ में गायन करना चाहिए,
बिल्वाष्टकम:
त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रियायुधं
त्रिजन्म पापसंहारम् एकबिल्वं शिवार्पणं
त्रिशाखैः बिल्वपत्रैश्च अच्चिद्रैः कोमलैः शुभैः
तवपूजां करिष्यामि एकबिल्वं शिवार्पणं
कोटि कन्या महादानं तिलपर्वत कोटयः
काञ्चनं क्षीलदानेन एकबिल्वं शिवार्पणं
काशीक्षेत्र निवासं च कालभैरव दर्शनं
प्रयागे माधवं दृष्ट्वा एकबिल्वं शिवार्पणं
इन्दुवारे व्रतं स्थित्वा निराहारो महेश्वराः
नक्तं हौष्यामि देवेश एकबिल्वं शिवार्पणं
रामलिङ्ग प्रतिष्ठा च वैवाहिक कृतं तधा
तटाकानिच सन्धानम् एकबिल्वं शिवार्पणं
अखण्ड बिल्वपत्रं च आयुतं शिवपूजनं
कृतं नाम सहस्रेण एकबिल्वं शिवार्पणं
उमया सहदेवेश नन्दि वाहनमेव च
भस्मलेपन सर्वाङ्गम् एकबिल्वं शिवार्पणं
सालग्रामेषु विप्राणां तटाकं दशकूपयोः
यज्नकोटि सहस्रस्च एकबिल्वं शिवार्पणं
दन्ति कोटि सहस्रेषु अश्वमेध शतक्रतौ
कोटिकन्या महादानम् एकबिल्वं शिवार्पणं
बिल्वाणां दर्शनं पुण्यं स्पर्शनं पापनाशनं
अघोर पापसंहारम् एकबिल्वं शिवार्पणं
सहस्रवेद पाटेषु ब्रह्मस्तापन मुच्यते
अनेकव्रत कोटीनाम् एकबिल्वं शिवार्पणं
अन्नदान सहस्रेषु सहस्रोप नयनं तधा
अनेक जन्मपापानि एकबिल्वं शिवार्पणं
बिल्वस्तोत्रमिदं पुण्यं यः पठेश्शिव सन्निधौ
शिवलोकमवाप्नोति एकबिल्वं शिवार्पणं
इन सब बातो के अलावा एक अत्यंत अचूक और स्वयंसिद्ध तथ्य का उल्लेख कर रहा हूँ, जिसके पालन करने से यह आने वाली शिवरात्रि आपके जीवन में खुशियों को प्रदान करने वाली, मनोवांछा पूर्ण करने वाली सिद्ध होगी, उपरोक्त सभी कार्य बहुत सरल है जिनका लाभ अवश्य लेना चाहिए, एक और ऐसा उपाय जो बहुत सरल तो है लकिन अचूक है, अमोघ है जिसे किसी भी प्रकार से नकारा या झुठलाया नहीं जा सकता,
वह उपाय है, "रामेश्वरम " अर्थात राम ही जिनके ईश्वर है,और जो राम के ईश्वर है, अर्थात श्री रामचरित मानस का अखंड पाठ महाशिवरात्रि के समय,इसका कारन भी बता देता हूँ, क्यों यह अमोघ उपाय है ? श्री रामचरितमानस में पहिले शिव विवाह का प्रसंग आता है, शिवरात्रि भगवान् शिव के विवाह की रात्रि है, इसका गायन करने से भगवान् शिव और श्री राम जी अत्यंत प्रसन्न होते है, क्योंकि एक दूसरे के इष्ट है राम जी और शिव, दूसरे श्री रामचरितमानस में राम जी के गन और ओजस का गुणगान है जो भगवान् शिव को अत्यंत प्रिय है, इस प्रकार रामायण का पाठ दो धारी तलवार जैसा है जिसके पाठ से एक और भगवान् शिव के प्रेम की धार है तो दूसरी तरफ प्रभु श्री राम की प्रसन्नता की धार है, इसीलिए इस उपाय को दो धारी या अमोघ कहाँ है, इस अमोघ उपाय को और भी अमोघ बना देगा,यदि पाठ में पंचाक्षरी मन्त्र ओम नमः शिवाय का सम्पुट लगा कर पठन किया जाए,
भगवान् शिव के यह कथन जो रामायण जी की चोपाई के रूप में भी बतलाये गए है, यह बतलाते है की भगवन शिव को श्री राम का नाम कितना प्रिय है,
"उमा कहूं मैं अनुभव अपना , सत हरी भजन जगत सब सपना,"
"मंगल भवन अमंगल हारी, उमा सहित जेहिं जपत पुरारी "
भगवान् शिव के यह कथन जो रामायण जी की चोपाई के रूप में भी बतलाये गए है, यह बतलाते है की भगवन शिव को श्री राम का नाम कितना प्रिय है,
"उमा कहूं मैं अनुभव अपना , सत हरी भजन जगत सब सपना,"
"मंगल भवन अमंगल हारी, उमा सहित जेहिं जपत पुरारी "
आइये इस शिवरात्रि अमोघ रामायण पाठ पंचाक्षरी मंत्र के साथ करे और अपने भय,दुःख,कलेश पीड़ा दारिद्र्य रोग आदि से मुक्ति पाए, ये कोई महंगे कोई ठग्गी के उपाय नहीं है केवल सच्चे भाव से स्वयं करने योग्य विधि है, भगवन शिव बहुत भोले है केवल भाव से ही रीझ जाते है बस भाव सहित कीजिये शिव आराधना इस शिवरात्रि और आनंद प्राप्त करे, 'शिवार्पणम '
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जय शिव ओमकारा प्रभु जय शिव ओमकारा आइये मिलकर आरती करे महाकाल सदाशिव की
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