प्रेम प्रवाह : गौर हरि आये संगकीरतना एक ऐसा शब्द जो बतलाता है की संग मिलकर ही कीर्तन होता है, सबके मिलकर बोलने गाने से हरिनाम संकीर...
प्रेम प्रवाह : गौर हरि आये
संगकीरतना एक ऐसा शब्द जो बतलाता है की संग मिलकर ही कीर्तन होता है, सबके मिलकर बोलने गाने से हरिनाम संकीर्तन सफल होता है,और यही कीर्तन जब संतो और महापुरषो के साथ मिलकर किया जाए तो यह और भी अधिक दिव्य और दिव्यतम रूप धारण कर लेता है, महाराज श्री सदैव कहते है, "यदि राधारमण जू से मिलना है, तो केवल उनकी कथा, कीर्तन और सत्संग में ही मिला जा सकता है", भगवान् से मिलने का एकमात्र स्थान हरि संकीर्तन और सत्संग का स्थान है, इसी श्रंखला में दिव्यतम भाव की प्रस्तुति जोकि हमारे कानो में हरिनाम का रस घोल देगी, आइये सुने और मिलकर संगकीरतना का आनंद ले, आइये गाते है.........
आज आनंद मेघ छाए, जगत में गौर हरि आये
धन्य है शची माता की गोद, कहा न जाए पिता का मोद
बधाई घर घर बंटवाए, जगत में गौर ह्री आये
आज आनंद मेघ छाए, जगत में गौर हरि आये
फाल्गुन पुणो तिथि महान,तारने आये सकल जहान
विप्र घर विश्वपति आये,जगत में गौर हरि आये
आज आनंद मेघ छाए, जगत में गौर हरि आये
बहेगी अब भक्ति रसधार, मिला पतितो को प्रेमाधार
नाम धन जग में बटवाये, जगत में गौर हरि आये
आज आनंद मेघ छाए, जगत में गौर हरि आये
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