पुकारती- पुकारती- पुकारती, माँ भारती ! भगवाराज में भी क्यों दुखी है माँ भारती ? श्रीराम की आवाज आज तुम्हे है ललकारती कह...
पुकारती- पुकारती- पुकारती, माँ भारती !
भगवाराज में भी क्यों दुखी है माँ भारती ?
श्रीराम की आवाज आज तुम्हे है ललकारती
कहाँ दफन हो गए हिन्दू लाल तेरे माँ भारती ?
गोपी बनकर श्री कृष्ण के प्रेम में नाचना सौभाग्य है, आज लाखो जन ऐसे कृष्ण प्रेम में गोपी बन कर श्री धाम में नाच रहे है, कृष्ण को रिझा रहे है, बहुत सूंदर और अच्छा भाव है, शिव भी अति सौम्य रूप से नटराज बनकर नृत्य के देवता है, वह भी गोपी बनकर मोहन के प्रेम में मोहिनी रूप धारण करते है, नृत्य करते है,
किन्तु जब असुरो का पाप अतिशय हो जाता है, हिंसा, पापचार, घृणा और अत्याचार का विष फैलने लगता है तो शिव नृत्य का ही रूप बदलकर तांडव करने लगते है, सौम्य रूप त्यागकर रूद्र रूप धारण कर लेते है, आज हमारे भारत को भी उसी तांडव नृत्य की आवश्यकता है,
जो लोग गोपी बनकर प्रेम नृत्य कर रहे है, आज उन्हें उसी राम के प्रेम के लिए शिव तांडव का रूप धारण करना होगा, अभी तक जो ताली कृष्ण प्रेम में बजे है ,राम के लिए शंखनाद बजाना होगा, ढोलक झांझ मंजीरे बजाने की जगह मृदंग,और विजय के नगाड़े बजाने होंगे,
आज तक हमारे धरम गुरुओ ने प्रेम का पाठ पढ़ाया, अहिंसा का मार्ग बताया, लेकिन आज उन्ही गुरुओ को आत्मरक्षा और देश हित के लिए , धर्म पताका की विजय के लिए कर्म का पाठ पढ़ाना होगा, आज कुरुक्षेत्र के मैदान में मुरझाये अर्जुन को कृष्ण बनकर वीरता का पाठ पढ़ाना होगा, एक एक धरम गुरु लाखो का नेतृत्व करते है, नेता भी उनके दरबार में वोटो के खातिर झुकते है, क्यों आज सोया हुआ भारत का बुद्धिजीवी समाज है?
भारत की भूमि पर आज हिंदुत्व क्यों शर्मसार है? सभी सिखाते भारत सनातन धर्म की धरा है,फिर क्यों आज धरम खतरे में पड़ा है? जो राष्ट्र हिन्दू है वही हिंदुत्व को बचाना पड़ रहा है, जो सृष्टि के प्रारम्भ से ही हिन्दुओ की धरा है, जिसका धरम हिंदुत्व है, जिसका ध्वज सदा केसरिया है, आज यही साबित क्यों करना पड़ रहा है?
क्या राम कृष्ण की धरती पर कोई और पहले आया था? क्या इनके आने से पहले किसी और ने अपना घर बनाया था? फिर क्यों ये साबित करना पड़ रहा है की राम यह आये थे, अयोध्या में राम का घर था? क्यों राम से पहले कोई और आया था क्या? क्या सनातन धर्म से पहिले कोई और धर्म था क्या? आज बहुत से प्रश्न मन को घायल करते है? क्या इन प्रश्नो का जवाब कोई बुद्धिजीवी या धरमगुरु देगा?
किसी देश का धरमगुरु क्या केवल कोरे उपदेश के लिए होता है? क्यों अपनी वाक्पटुता से वाहवाही लूटने का व्यपार बनाया है? सच्चा धर्मगुरु वही है जो राष्ट्रहित के लिए तख्तोताज पलट देता है, अपने शिष्यों के मन में अहिंशा के उपदेश के साथ समय आने पर वीरता का पाठ भी भर देता है, अगर ऐसा नहीं होता तो द्रोणाचार्य अर्जुन को धनुष चलना नहीं सिखाते, वशिष्ठ गुरु धर्म, राजनीती के अलावा शस्त्रों का ज्ञान राम को नहीं बताते, विश्वामित्र जी मुसीबत आने पर राम को धनुष उठाने के लिए नहीं कहते, प्रेम की मुरली बजाने वाला कृष्ण कभी सुदर्शन नहीं चलाता, महाभारत का युद्ध नहीं होने देता, लेकिन वह जानते है की जब पापियों की उद्दंडता अतिशय असहनीय हो जाती है, तो उसे काबू करने के लिए ताकत का उपयोग करना ही पड़ता है, जब पानी सर के ऊपर से निकलने वाला हो तो हाथ पैर चलना ही पड़ता है, प्रेम की समझ न हो तो क्रोध का पाठ सिखाना ही पड़ता है,
वादा करते बड़ा-बड़ा की भारत में रामराज फिर आएगा ?
राम ही अन्याय की मार सह रहा कैसे राज फिर आएगा?
भगवा की लहर है जग में हर जगह कमल खिल जाएगा
एकबार जब अयोध्या में रामलल्ला का राजतिलक हो जायेगा
करो वार दुष्टो की गर्दन पर हर हिन्दू परशुराम कहलायेगा
रामराज आएगा तबहि जब एकबार फरसा परशु का लहराएगा
छोड़ आपसी मतभेद सम्प्रदायों के गर हिन्दू एक हो जाएगा
मजाल नहीं किसी गैरधर्मी की जो हिन्दुओ पर ऊँगली उठाएगा
सदा सनातन धरम हमारा भारत सनातन धर्मी ही कहलायेगा
बहुत हो गयी दया अहिंसा, अब हिंसा से ही रामराज हो पायेगा
भगवाधारी छोड़ करुणा का पाठ जब एकजुट होकर आगे आएगा
रूह काँप जायेगी पापी की फिर हिन्द में कोई रोड़ा ना अटकाएगा
नहीं बैर किसी इंसान से इंसानियत हमको प्यारा है I
इंसानियत का फायदा उठाकर तुमने ही ललकारा है II
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