बढ़ती इच्छाओ का दुःख महान इसीलिए खोजे नए नए भगवान
Homekrishna consciousness

बढ़ती इच्छाओ का दुःख महान इसीलिए खोजे नए नए भगवान

नए भगवान् की दीवानगी  मीरा बाई जी ने गिरधरगोपाल का भजन किया तो गोपाल मिले, शबरी ने राम जी को भजा तो राम मिले, रसखान कृष्ण के दीवाने...

यमुनेस्तुति - अष्टपदी
महारास की दिव्यता / कटाक्ष - मूर्खता
महामंत्र एवं नाम महिमा
नए भगवान् की दीवानगी 



मीरा बाई जी ने गिरधरगोपाल का भजन किया तो गोपाल मिले, शबरी ने राम जी को भजा तो राम मिले, रसखान कृष्ण के दीवाने , सूरदास कृष्ण के भक्त  तुलसीदास रघुनाथ भजे ,कबीर हरि भजे , नानकदेव प्रभु का भजन किया , चैतन्य महाप्रभु हरिबोल हरि बोल हरे कृष्ण हरे कृष्ण कहे ,प्रह्लाद ने नारायण भजा तो नरसिंघ जी मिले , ध्रुव नारायण हरि भजे ,कर्माबाई जी कृष्ण को भजा, क्या ये सब बेकार थे क्या?




इन्हे कोई नया भगवान् नहीं मिला या जरूरत नहीं हुयी? जो चमत्कारी हो, हवा में हाथ घुमा कर भभूति (राख) से कल्याण कर दे, कोई ऐसा न मिला जो झाड़ा लगा दे और मुक्ति दिला दे, किसी मज़ार पर जाकर दिया नहीं जलाया इन्होने क्यों? क्योंकि नकली भगवान नहीं असली भगवान चाहिए था इन्हे, इनको सुख नहीं चाहिए था, धन दौलत नहीं चाहिए था, इन्हे ऐशो- आराम, पुत्र संतान की इच्छा नहीं थी, केवल केवल परमात्मा चाहिए था,

आज के युग में हमारी इच्छाएं ऐसे बढ़ रही है जैसे सुरसा का मुख बढ़ रहा था, इतनी इच्छाओ के कारन दुखी है जिनकी पूर्ति हो नहीं पाती, और चल देते है चमत्कार की खोज में, और ऐसे ही बाबा पीर पैगम्बर औलिया झूठे और नकली ज्योतिषी और महानुभाव बैठे है नए नए भगवान लेकर की आओ मेरे बाबा के पास, मेरे पीर के पास , चमत्कारी धाम में आओ, मुरादों को पूरी करवा लो, भेंट चढ़ाओ , दान करो, और इच्छाओ की पूर्ति के लिए शार्ट कट चाहिए

 इसलिए पागल बनकर हम सब कुछ करते जाते है, नकली भगवान् के चककर में, तभी तो आज हर शहर हर गांव में एक नया भगवान मिलता है, की ये तो साँचा देव है, यह कामना पूर्ति होगी, हज़ारो लोगो में एक आध की प्रारब्ध से,  न कि उस चमत्कारी भगवान कि वजह से कोई इच्छा पूरी हो जाती है, तो वह उसी देवता के गीत गाने लगता है,

आजकल कोई ऐसा नहीं गाता कि रामनाम सुखदायी भजन करो भाई ये मेला दो दिन का, रामनाम के हीरे मोती मैं बिखराऊ गली गली, राम राम राम होव सत्संग में जागे मेरे भाग भिगोया हरि रंग में, मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरा न कोई, ऐसे भाव आज कल के भजनो में क्यों विलुप हो गए क्योंकि आज किसी को भगवान से नहीं मिलना बल्कि मुरादों को पूरी करवानी है इसलिए भजन भी मुरादों को पूरी करने के गाये जाने लगे,

संसार किसने बनाया? परमात्मा ने, और जो ये नए देव नए नए भगवान् आये है इन्हे किसने बनाया वह भी परमात्मा के बनाये जिव है जिन्हे कुछ लोगो ने स्वयंभू भगवान बना दिया है? तो जिस परमात्मा ने हम सब को बनाया, जिसे पूर्ण सृष्टि कि रचना कि क्या वह कुछ भी देने में असमर्थ है क्या? क्या श्री राम, कृष्ण चंद्र, नारायण, शिव, माँ दुर्गा, गणपति ये सब भगवान किसी भी इच्छा को पूर्ण करने में असमर्थ है?

 अगर ऐसा मानते हो तो खोजो नए नए भगवान लेकिन अपने धरम अपने भगवान में पूर्ण निष्ठां है, श्रद्धा विशवास है तो नए को पूजना बंद कर दीजिये, कही ऐसा नो हो अपनी निष्ठा को खो दो तो वही दशा होगी कि धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का, जब अपने बाप को कोई बाप नहीं मानता तो उस व्यक्ति के दस बाप बन जाते है, वही हमारी दशा हो गयी अपने परमात्मा को जोकि हमारा बाप है उसे छोड़ देते है और बाहर दस दस नए भगवान् पूजते घूमते है,


अगर कोई स्त्री किसी अन्य स्त्रियों से कहे की जो मेरा पति है, वही तुम्हारा पति है तो क्या मान लोगे क्या? नहीं न तो यह धर्म और भगवान् के नाम पर क्यों मान रहे हो? चमत्कारी बाबा जिनका भगवान् है उन्हें मान लेने दो, तुम क्यों उनके पति को अपना मान रहे हो? क्यों जहाँ  भगवान् की प्रतिमा प्रतिष्ठित होनी चाहिए वह उनकी मुर्तिया रख रहे हो, यह सब हिंदुत्व और हिन्दू धरम का नाश है, केवल पञ्च देव ही हमारे सनातन धर्म में पूजनीय है, गणेश, माँ दुर्गा,शिव, नारायण और सूर्य और इन्ही के रूप अवतार, इन्ही में एक तुम्हारा इष्ट होगा केवल पहचान करने की आवश्यकता है, नए भगवान् की, नए पति की या बाप की खोज बंद करो, मत भटको ये सब दिखावा है, मति भ्रष्ट करने का प्रयत्न है, गैर धर्मियो की चाल है,

देवी देवता पूजनीय है किन्तु अपने सनातन धर्म में जो देवी देवता है उन पर श्रद्धा कीजिये, किन्तु विशवास और निष्ठां तो एक इष्ट पर ही होगी न, जैसे इस संसार में माँ हर स्त्री हो सकती है, बहन हो सकती है, किन्तु पत्नी एक ही होती है, ऐसे ही सब पुरुष भाई, या पिता बन सकते है किन्तु पति एक ही होगा, ऐसे ही निष्ठां एक ही इष्ट में होती है, श्रद्धा कैयो में हो सकती है, कलियुग से पहले कोई ऐसे देवता नहीं थे, जो आज हो गए है,

कई भगवान् तो गुरु ही बन गए है, गुरु वो है जो शिष्य को भगवान् से मिला दे, अज्ञान के अँधेरे से ज्ञान का प्रकाश दिखला दे, न की स्वयं ही भगवान् बन जाए, आजकल व्यासपीठ पर गुरु स्वयं भगवान् बन जाते है,  प्रभु का श्रीविग्रह हटा कर बाबाओ का विग्रह लगाने लगे, ऐसा सही है क्या? क्या राम, कृष्ण, हनुमान,शिव,दुर्गा और गणपति आदि भगवान् की शक्तिया कम हो गयी है क्या? या निष्ठां कम हो गयी है? या हिन्दुओ को ही मुर्ख बनने की शिक्षा मिल रही है? कही न कही तो गड़बड़ है, हिन्दुओ की जागृति में, संयम में, ज्ञान में , सम्भलना होगा हमे अभी नहीं तो आने वाली पीढ़ियां तो राम, कृष्ण को जानेगी ही नहीं, उनके लिए तो जीसस, अल्लाह, साई, और नए नए बाबा ही भगवान् होंगे, उनका कितना पतन हो जाएगा ये एक गंभीर विषय है,


किसी दृष्टि से हो सकता आप लोगो को कोई बात सही न लगे, बुरा लगे तो माफ़ी चाहता हूँ, भावना को ठेस नहीं पहुंचना चाहता बस सत्यता को स्पष्ट करना चाहता हूँ, भावो को सही राह पर लाने का प्रयास है, हिन्दुओ के भगवान् नारायण, शिव राम और कृष्ण, हनुमान,दुर्गा,गणपति और सूर्यनारायण ही है, इनके रूप अनेक है,किसी भी रूप में भाव स्थापित करो किन्तु करो तो अपने इष्ट में न, किसी दूसरे धरम में क्यों?इनसे ज्यादा शक्तिशाली अगर कोई और देवता या भगवान् है तो मुझे जरूर बता देना,


शास्त्रों के अनुसार पांच प्रमुख देवता माने गए हैं। किसी भी शुभ कार्य की शुरूआत और पूर्णता के लिए इनकी पूजा करना अनिवार्य मानी गई है।  इन पंच देवी-देवताओं की विधिवत पूजा करने से कार्य निर्विघ्न पूर्ण हो जाता है।हमारे शास्त्रो में पंच देव के नित्य पूजन का विधान बताया गया है। इन पंच देव में भगवान गणेशजी, विष्णुजी, शिवजी, देवी मां और सूर्य देव शामिल हैं। ऐसा माना जाता है कि हमारा शरीर पांच तत्वों से निर्मित माना गया है और इन्हीं तत्वों में पांचों देवी-देवता विद्यमान रहते हैं।



गणेशजी जल तत्व माने गए हैं अत: इनका वास जल में माना गया है। श्री विष्णु- वायु तत्व हैं, शिवजी- पृथ्वी तत्व हैं, श्री देवी- अग्रि तत्व हैं और श्री सूर्य- आकाश तत्व माने गए हैं। हमारे जीवन के लिए सर्वप्रथम जल की ही आवश्यकता होती है। इसलिए प्रथम पूज्य श्रीगणेश माने गए हैं जो कि जल के देवता है। वायु साक्षात विष्णु देवता से संबधित तत्व है। भगवान शंकर पृथ्वी तत्व, देवी अग्नि तत्व तथा सूर्य आकाश तत्व के देवता है।


वेदो के अनुसार इन पांच देवो की वेद पढ़ती के अनुसार वेद मंत्रो के अनुसार साधना की जाए तो कोई ऐसी इच्छा नहीं जो पूरी न हो फिर किसलिए बाहर के भगवान की पूजा करना.......जय श्रीराम 
Name

Festival Special,6,Hanuman Ji,4,Happy Life,13,Inspiration,4,karmyog-geeta gyaan,8,Krishan Chaiynya Mahaprbhu,12,krishna consciousness,18,MOTIVATION,1,Navratri,2,Pundrik Ji Goswami,5,RAM MANDIR NIRMAAN,4,Relations,2,sangkirtna,22,Vrindavan Darshan,1,आनंद की ओर,3,इरशाद,2,गोपीगीत,7,तंत्र -मंत्र या विज्ञान,1,न भूतो न भविष्यति,1,भक्तमाल,10,रासलीला,1,श्याम-विरहणी,2,श्री कृष्ण बाललीला,2,श्रीराधा-माधव-चिंतन,7,साधना और सिद्धि,9,होली के पद,2,
ltr
item
DIVINE LOVE: बढ़ती इच्छाओ का दुःख महान इसीलिए खोजे नए नए भगवान
बढ़ती इच्छाओ का दुःख महान इसीलिए खोजे नए नए भगवान
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh1AmXERV9JzzBvOVh9jWKF96ugNyFrRHSF82IOOY3SyhyuoR0Wa_mEhT8gwfIlI9MxLv6pnx2s8op_fU1yEogTEBGQDmxhBam7kfLrdOaVguPEoABOH7CotYuEA2AGP9o7Yr79Yk8x5O8/s640/new+gods.jpg
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh1AmXERV9JzzBvOVh9jWKF96ugNyFrRHSF82IOOY3SyhyuoR0Wa_mEhT8gwfIlI9MxLv6pnx2s8op_fU1yEogTEBGQDmxhBam7kfLrdOaVguPEoABOH7CotYuEA2AGP9o7Yr79Yk8x5O8/s72-c/new+gods.jpg
DIVINE LOVE
https://divinelovevikas.blogspot.com/2018/05/blog-post_15.html
https://divinelovevikas.blogspot.com/
https://divinelovevikas.blogspot.com/
https://divinelovevikas.blogspot.com/2018/05/blog-post_15.html
true
4400599221121763347
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS CONTENT IS PREMIUM Please share to unlock Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy