शनि जयंती 15th May 2018 – क्या है महत्व कैसे करें शनिदेव की पूजा (Watch Video)
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शनि जयंती 15th May 2018 – क्या है महत्व कैसे करें शनिदेव की पूजा (Watch Video)

शनि जयंती 15th May 2018  (Special Article for shani Remedies) 15 मई, 2018 के दिन ज्येष्ठ अमावस्या को शनि जयंती मनाई जाएगी. इस दि...

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शनि जयंती 15th May 2018
 (Special Article for shani Remedies)


15 मई, 2018 के दिन ज्येष्ठ अमावस्या को शनि जयंती मनाई जाएगी. इस दिन शनि देव की विशेष पूजा का विधान है. शनि देव को प्रसन्न करने के लिए अनेक मंत्रों व स्तोत्रों का गुणगान किया जाता है. शनि हिन्दू ज्योतिष में नौ मुख्य ग्रहों में से एक हैं. शनि अन्य ग्रहों की तुलना मे धीमे चलते हैं इसलिए इन्हें शनैश्चर भी कहा जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार शनि के जन्म के विषय में काफी कुछ बताया गया है और ज्योतिष में शनि के प्रभाव का साफ़ संकेत मिलता है. शनि ग्रह वायु तत्व और पश्चिम दिशा के स्वामी हैं. शास्त्रों के अनुसार शनि जयंती पर उनकी पूजा-आराधना और अनुष्ठान करने से शनिदेव विशिष्ट फल प्रदान करते हैं.

शनि जयंती इस वर्ष मंगलवार को है, मंगल के दिन होने से इसका महत्व और अधिक इसलिए है की इस दिन की गयी शनि आराधना तो विशेष फलदायी है ही, किन्तु इस दिन हनुमान जी की आराधना भी शनि के कष्टों से मुक्ति दिलाएगी, हनुमान जी परम् शक्तिशाली है, और शनि देव के रक्षक और पूजनीय भी है, जब रावण में लंका में नव ग्रहो के साथ शनि देव को भी बंदी बना रखा था, तभी माँ जानकी जी की खोज में गए हुए हनुमान जी ने इनकी दीन दशा देखी और सभी ग्रहो सहित शनि देव जी को उस कैद से मुक्त करवाया था, तभी से शनि देव हनुमान भक्तो को कष्ट नहीं देते है, इसलिए इस बार शनि जयंती को यदि हनुमान मंदिर में जाकर सुंदरकांड का पाठ और पूजा अर्चना की जाए तो शनि देव की विशेष कृपा की प्राप्ति भी हो जायेगी, जिन जातको को शनि दशा या साढ़े शांति का प्रकोप चल रहा हो उन्हें इस दिन विशिष्ट रूप से हनुमत आराधना एवं शनि आराधना करनी चाहिए,

शनि जन्म कथा ( Shani Birth Story)

शनि जन्म के संदर्भ में एक पौराणिक कथा बहुत मान्य है जिसके अनुसार शनि, सूर्य देव और उनकी पत्नी छाया के पुत्र हैं. सूर्य देव का विवाह संज्ञा से हुआ कुछ समय पश्चात उन्हें तीन संतानो के रूप में मनु, यम और यमुना की प्राप्ति हुई. इस प्रकार कुछ समय तो संज्ञा ने सूर्य के साथ निर्वाह किया परंतु संज्ञा सूर्य के तेज को अधिक समय तक सहन नहीं कर पाईं उनके लिए सूर्य का तेज सहन कर पाना मुश्किल होता जा रहा था . इसी वजह से संज्ञा ने अपनी छाया को पति सूर्य की सेवा में छोड़ कर वहां से चली चली गईं. कुछ समय बाद छाया के गर्भ से शनि देव का जन्म हुआ.

शनि जयंती पूजा ( Shani Jayanti Puja)

शनि जयंती के अवसर पर शनिदेव के निमित्त विधि-विधान से पूजा पाठ तथा व्रत किया जाता है. शनि जयंती के दिन किया गया दान पूण्य एवं पूजा पाठ शनि संबंधि सभी कष्टों दूर कर देने में सहायक होता है. शनिदेव के निमित्त पूजा करने हेतु भक्त को चाहिए कि वह शनि जयंती के दिन सुबह जल्दी स्नान आदि से निवृत्त होकर नवग्रहों को नमस्कार करते हुए शनिदेव की लोहे की मूर्ति स्थापित करें और उसे सरसों या तिल के तेल से स्नान कराएं तथा षोड्शोपचार पूजन करें साथ ही शनि मंत्र का उच्चारण करें :-ॐ शनिश्चराय नम:।।

इसके बाद पूजा सामग्री सहित शनिदेव से संबंधित वस्तुओं का दान करें. इस प्रकार पूजन के बाद दिन भर निराहार रहें व मंत्र का जप करें. शनि की कृपा एवं शांति प्राप्ति हेतु तिल , उड़द, कालीमिर्च, मूंगफली का तेल, आचार, लौंग, तेजपत्ता तथा काले नमक का उपयोग करना चाहिए, शनि देव को प्रसन्न करने के लिए हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए. शनि के लिए दान में दी जाने वाली वस्तुओं में काले कपडे, जामुन, काली उडद, काले जूते, तिल, लोहा, तेल,  आदि वस्तुओं को शनि के निमित्त दान में दे सकते हैं.

कैसे करें शनिदेव की पूजा ( How to perform Shani Puja)

शनिदेव की पूजा विधि - शनिदेव की पूजा भी बाकि देवी-देवताओं की पूजा की तरह सामान्य ही होती है। प्रात:काल उठकर शौचादि से निवृत होकर स्नानादि से शुद्ध हों। फिर लकड़ी के एक पाट पर काला वस्त्र बिछाकर उस पर शनिदेव की प्रतिमा या तस्वीर या फिर एक सुपारी रखकर उसके दोनों और शुद्ध घी व तेल का दीपक जलाकर धूप जलाएं। शनिदेवता के इस प्रतीक स्वरूप को पंचगव्य, पंचामृत, इत्र आदि से स्नान करवायें। इसके बाद अबीर, गुलाल, सिंदूर, कुमकुम व काजल लगाकर नीले या काले फूल अर्पित करें। तत्पश्चात इमरती व तेल में तली वस्तुओं का नैवेद्य अपर्ण करें। इसके बाद श्री फल सहित अन्य फल भी अर्पित करें। पंचोपचार पूजन के बाद शनि मंत्र का कम से कम एक माला जप भी करना चाहिये। माला जपने के पश्चात शनि चालीसा का पाठ करें व तत्पश्चात शनि महाराज की आरती भी उतारनी चाहिये।


इन बातों का रखें ध्यान (Some facts must keep in Mind while worshipping Shanideva)

शनि देव की पूजा करने के दिन सूर्योदय से पहले शरीर पर तेल मालिश कर स्नान करना चाहिये।

शनिमंदिर के साथ-साथ हनुमान जी के दर्शन भी जरूर करने चाहिये।

शनि जयंती या शनि पूजा के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिये।

इस दिन यात्रा को भी स्थगित कर देना चाहिये।

किसी जरूरतमंद गरीब व्यक्ति को तेल में बने खाद्य पदार्थों का सेवन करवाना चाहिये।

गाय और कुत्तों को भी तेल में बने पदार्थ खिलाने चाहिये।

बुजूर्गों व जरुरतमंद की सेवा और सहायता भी करनी चाहिये।

सूर्यदेव की पूजा इस दिन न ही करें तो अच्छा है।

शनिदेव की प्रतिमा या तस्वीर को देखते समय उनकी आंखो में नहीं देखना चाहिये।

 शनि जयंती महत्व  (Significance of Shani Jyanti)

इस दिन प्रमुख शनि मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है. भारत में स्थित प्रमुख शनि मंदिरों में भक्त शनि देव से संबंधित पूजा पाठ करते हैं तथा शनि पीड़ा से मुक्ति की प्रार्थना करते हैं. शनि देव को काला या कृष्ण वर्ण का बताया जाता है इसलिए इन्हें काला रंग अधिक प्रिय है. शनि देव काले वस्त्रों में सुशोभित हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शनिदेव का जन्म ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि के दिन हुआ है. जन्म के समय से ही शनि देव श्याम वर्ण, लंबे शरीर, बड़ी आंखों वाले और बड़े केशों वाले थे. यह न्याय के देवता हैं,  योगी, तपस्या में लीन और हमेशा दूसरों की सहायता करने वाले होते हैं. शनि ग्रह को न्याय का देवता कहा जाता है यह जीवों को सभी कर्मों का फल प्रदान करते हैं.

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DIVINE LOVE: शनि जयंती 15th May 2018 – क्या है महत्व कैसे करें शनिदेव की पूजा (Watch Video)
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